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Jabalpur News: IFS अफसर ऋषि मिश्रा ने लोकल 18 से कहा कि वन्यप्राणी प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की अलग-अलग धाराओं के तहत सजा का प्रावधान है. 7 साल की सजा के साथ जुर्माना भी हो सकता है क्योंकि ऐसा करना दंडनीय अपराध है. हालांकि यह जंगली जानवर के शेड्यूल पर भी निर्भर करता है. अगर वन्यजीव शेड्यूल 1 का है, तो सजा और भी ज्यादा हो सकती है.
जबलपुर. बाघ-तेंदुआ हो या फिर अन्य वन्यजीव, जिनके नाखून और दांतों का लॉकेट पहनने का शौक काफी लोगों को होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह लॉकेट आपको जेल पहुंचा सकता है क्योंकि वन्य प्राणियों के अवशेषों को पहनना दंडनीय अपराध है. यदि आप ऐसा कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए क्योंकि वन्यजीवों के अवशेष बेचना या फिर खरीदना दंडनीय अपराध है. मध्य प्रदेश के जबलपुर में आईएफएस अधिकारी ऋषि मिश्रा ने लोकल 18 से इस बारे में बातचीत की. उन्होंने बताया कि यदि कोई भी शख्स वन्यजीवों के नाखून या फिर दांत को लॉकेट की तरह पहना हुआ है, तब पहला प्रश्न यही है कि नाखून और दांत उसके पास आए कहां से. उसे किस माध्यम से जानवर के अवशेष मिले हैं. इसकी जांच की जाती है. बेचने वाला हो या फिर खरीदने वाला, दोनों ही दोषी होते हैं क्योंकि कहीं न कहीं ऐसा माना जाता है कि शिकार करके ही लॉकेट को पहना गया है.
उन्होंने आगे बताया कि वन्यप्राणी प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की विविध धाराओं के तहत सजा का प्रावधान है. जहां 7 साल की सजा के साथ ही जुर्माना भी हो सकता है क्योंकि ऐसा करना दंडनीय अपराध है. हालांकि यह जानवर के शेड्यूल पर भी निर्भर करता है. यदि वन्यप्राणी शेड्यूल वन का है, तो सजा और भी ज्यादा हो सकती है. जहां पहनने वाले से लेकर बेचने वाले सभी के लिए एक बराबर ही सजा का प्रावधान है. इसमें दोनों ही व्यक्ति के अपराध समान श्रेणी के ही होते हैं.
बाघ-तेंदुए के नाखून-दांतों का ताबीज
अक्सर जंगली जानवरों के शिकार की खबरें आती हैं. उनका शिकार अंगों और अवशेषों के लिए ही किया जाता है. तब जांच के दौरान यही बात सामने आती है कि दांत और नाखून गायब मिलते हैं. अक्सर कुछ गिरोह ऐसा काम करते हैं, जो इन चीजों के शौकीनों को सप्लाई करने का भी काम करते हैं. जहां इनका इस्तेमाल ताबीज बनाने से लेकर अन्य चीजों के लिए किया जाता है.
अंधविश्वास, पूजन और आर्थिक लाभ के लिए इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि अक्सर लोगों के मन में अंधविश्वास और भ्रांति होती है कि वन्यप्राणी के दांत और नाखून का पूजन आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है. न सिर्फ पूजन-पाठ इसके अलावा जादू-टोना और आर्थिक लाभ के लिए भी वन्यजीवों के अवशेषों का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ मामलों में चमत्कारी सिद्धियों के लिए भी इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं. दूसरी तरफ कुछ लोग वन्यप्राणी के लॉकेट भी पहना करते हैं. जो कहीं न कहीं शोभा बढ़ाने या फिर आर्थिक लाभ के लिए किया जाता है. इसके चलते यही मिथक लोगों के मन में बना रहता है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
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