आपको भी बार-बार सिर पर लगती है चोट? एक फुटबॉलर इसी वजह से बन गया हत्‍यारा

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Head Injury: 27 वर्षीय शेन तामुरा, पूर्व हाईस्‍कूल फुटबॉल स्‍टार, ने मैनहैटन में फायरिंग कर 4 लोगों की जान ली और खुद को भी गोली मार ली. उसने CTE बीमारी को जिम्मेदार ठहराया, जो सिर की चोटों से होती है. CTE एक ब…और पढ़ें

हेड इंजरी खतरनाक बीमारी की वजह बन सकती है. (Photo-Canva)

हाइलाइट्स

  • शेन तामुरा ने मैनहैटन में फायरिंग कर 4 लोगों की जान ली.
  • CTE बीमारी सिर की चोटों से होती है, जिससे दिमाग डैमेज होता है.
  • CTE का इलाज नहीं है, सिर्फ मौत के बाद ऑटोप्सी से पता चलता है.
एक समय हाईस्‍कूल फुटबॉल स्‍टार रहा 27 वर्षीय शेन तामुरा अब न्यूयॉर्क की पुलिस और समाज के लिए सिरदर्द बन गया है. 28 जुलाई को मैनहैटन में फायरिंग कर 4 लोगों की जान लेने वाले शेन ने खुद को भी गोली मार ली. लेकिन उसने मरने से पहले एक चिट्ठी छोड़ी, जिसमें उसने एक रहस्‍यमयी बीमारी CTE यानी क्रॉन‍िक ट्रॉमैट‍िक एंसेफैलोपैथी (Chronic Traumatic Encephalopathy) को अपनी हालत का जिम्‍मेदार बताया. आख‍िर CTE है क्‍या? कैसे यह खेल के मैदान से सीधे किसी के दिमाग और फिर जिंदगी को निगल जाता है?

न्‍यूयॉर्क पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक ऐसी द‍िमाग की बीमारी है, जो बार-बार सिर पर लगने वाली चोटों की वजह से होती है. ज्‍यादातर ये खिलाड़ी, खासकर अमेरिकन फुटबॉल, बॉक्सिंग, या ऐसे किसी कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स में भाग लेने वालों को होती है, जहां सिर में चोट लगना आम बात होती है. इस बीमारी में दिमाग धीरे-धीरे डैमेज होता जाता है. मरीज चिड़चिड़ा हो जाता है, डिप्रेशन में चला जाता है, याददाश्त कमजोर होने लगती है और कई बार हिंसक हो जाता है.
मरने के बाद ही पहचान
बदकिस्मती ये है कि CTE का कोई इलाज नहीं है और जिंदा इंसान में इसकी पक्की पहचान भी नहीं हो सकती. सिर्फ मौत के बाद ही ऑटोप्सी से पता चलता है. अमेरिकी राष्ट्रीय फुटबॉल लीग पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि उसने खिलाड़ियों को सीटीई के खतरों से अंधेरे में रखा. 2017 में बोस्टन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में यह बात सामने आई कि जिन 111 खिलाड़ियों के मस्तिष्क की जांच की गई, उनमें से 110 में सीटीई के लक्षण पाए गए.

कैसे होती ये बीमारी
सीटीई कोई एक बार की चोट से नहीं होता, बल्कि छोटे-छोटे लगातार सिर पर लगने वाले आघातों से धीरे-धीरे विकसित होता है. अक्‍सर ख‍िलाड़‍ियों के साथ ऐसा होता है. अभी तक इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है. हेलमेट की गुणवत्ता, खेल के नियमों में बदलाव और बेहतर सुरक्षा उपाय कुछ हद तक मदद कर सकते हैं लेकिन जोखिम पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group…और पढ़ें

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