इटली में एक ऐसा ब्रिज बनने जा रहा है, जो समंदर के ऊपर झूलेगा. उसे थामेंगे दो बड़े-बड़े टावर. इस तरह के ब्रिज को सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge) कहा जाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि यह ब्रिज दुनिया का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज होगा. यह इटली के दो गरीब कस्बों सिसिली और कालाब्रिया से आपस में जोड़ेगा. यह ब्रिज इतनी चर्चा में इसलिए भी है, क्योंकि पिछले 50 सालों से इस बारे में बातें हो रही हैं. इन जगहों पर माफिया का दबदबा भी है, जो इसकी राह का एक बड़ा रोड़ा बना हुआ है. अब इटली का सरकार इसे बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन कई सारे अप्रूवल लेने अभी बाकी हैं.
इटली की सरकार के इस फैसले से देश की पहचान बदल सकती है. सिसिली और कालाब्रिया को जोड़ने वाला दुनिया का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज लगभग 3.3 किलोमीटर का होगा. यह दो बेहद बड़े टावरों के बीच झूलता नजर आएगा. इनकी ऊंचाई करीब 400 मीटर होगी. इसके बीच में दो रेलवे लाइन और दोनों ओर तीन-तीन गाड़ियों के लिए रास्ते होंगे. इस पुल को बनाने में लगभग 13.5 अरब यूरो यानी करीब 15.6 अरब डॉलर खर्च होंगे.
बड़े से बड़े भूकंप झेल जाएगा ये ब्रिज
यह पुल मेस्सीना जलडमरूमध्य (Messina Strait) पर बनेगा, जो भूकंप के लिहाज से एक बेहद संवेदनशील इलाका माना जाता है. लेकिन इंजीनियरों का दावा है कि यह पुल इतनी मजबूती से बनाया जाएगा कि यह बड़े भूकंपों को भी झेल सकता है. यह प्रोजेक्ट कोई नया विचार नहीं है. पिछले कई दशकों में इसे बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन कभी पैसे की कमी, कभी पर्यावरणीय चिंता, और कभी माफिया जैसे खतरों की वजह से इसे रोक दिया गया.
इस बार इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने खुद इस योजना को आगे बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि यह पुल इटली के वर्तमान और भविष्य के लिए एक निवेश है. उन्होंने यह भी माना कि यह काम आसान नहीं रहा है, लेकिन उनका मानना है कि “जब कोई चुनौती मायने रखती है, तभी वह स्वीकार करने लायक होती है.”
मिलिटरी खर्च में क्यों गिनाना चाहती है सरकार
इटली की सरकार इस पुल को मिलिटरी खर्च में गिनवाना चाहती है, ताकि यह नाटो के तहत तय 5 प्रतिशत रक्षा बजट का हिस्सा बन सके. सरकार की योजना है कि यह पुल साल 2032 या 2033 तक पूरा हो जाए. परिवहन मंत्री माटेओ साल्विनी का दावा है कि यह पुल हर साल 1.2 लाख लोगों को रोजगार देगा और सिसिली व कालाब्रिया जैसे गरीब क्षेत्रों में आर्थिक विकास लाएगा.
यह भी है कि अभी भी इस योजना को कई सरकारी एजेंसियों, पर्यावरण विभागों और कोर्ट से मंजूरी मिलना बाकी है. इसके अलावा, जिन लोगों की जमीन इस पुल के लिए ली जाएगी, उनसे बातचीत करना और उनकी आपत्ति को सुनना भी जरूरी होगा. अगर वे कोर्ट में मामला ले जाते हैं तो काम में देरी या रुकावट आ सकती है.
50 साल से हो रही इस ब्रिज की बातें
पिछले 50 सालों से इस पुल की बातें चल रही हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठ पाया था. विरोध की बड़ी वजह यह भी रही है कि लोगों को डर है कि इतना पैसा माफिया के हाथों में चला जाएगा, खासकर सिसिली और कालाब्रिया जैसे इलाकों में जहां माफिया का दबदबा अब भी मौजूद है.
स्थानीय नेताओं और नागरिक संगठनों ने इस परियोजना का विरोध जारी रखा है. डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सांसद ने कहा कि यह योजना विवादास्पद है और इससे स्थानीय स्कूल, सड़कें और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी. वहीं, ब्रिज के पास स्थित एक शहर की मेयर ने कहा कि उनकी बस्ती पर इसका बड़ा असर पड़ेगा और सरकार को लोगों से और राय लेनी चाहिए.
कुछ पर्यावरण समूहों का कहना है कि पुल बनाने में हर दिन लाखों लीटर पानी की जरूरत पड़ेगी, जबकि सिसिली और कालाब्रिया पहले से ही सूखे की समस्या झेल रहे हैं. फिलहाल, सिसिली और कालाब्रिया के बीच ट्रेन को समुद्र पार कराने के लिए कोचों को फेरी पर चढ़ाया जाता है, जो करीब 30 मिनट का सफर होता है. अब देखना होगा कि यह पुल केवल कागजों तक सीमित रहता है या सच में जमीन पर उतरता है.
क्या होता है सस्पेंशन ब्रिज
सस्पेंशन ब्रिज एक ऐसा पुल होता है जो मजबूत रस्सियों या स्टील के केबल्स की मदद से दो ऊंचे टावरों के बीच लटकता है. इसमें सड़क या रेल मार्ग इन टावरों से जुड़ी मोटी केबल्स पर टिका होता है, जैसे झूला दो खंभों के बीच लटका होता है. यह पुल खासतौर पर लंबे फासलों को पार करने के लिए बनाया जाता है, जैसे चौड़ी नदी या समंदर के ऊपर. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि इसके बीच का हिस्सा बिना किसी खंभे के झूलता है, जिससे नीचे से पानी या जहाज आसानी से गुजर सकते हैं.
सस्पेंशन ब्रिज को ऐसे इलाकों में बनाया जाता है जहां भूकंप या तेज हवाएं आती हैं, क्योंकि यह पुल लचीला होता है और झटकों को झेल सकता है. गोल्डन गेट ब्रिज (अमेरिका) और हावड़ा ब्रिज (भारत) इसके प्रसिद्ध उदाहरण हैं. यह पुल तकनीक, ताकत और सुंदरता का बेहतरीन मेल होते हैं और लंबे समय तक टिके रहने के लिए बनाए जाते हैं.
हावड़ा ब्रिज हालांकि सस्पेंशन ब्रिज नहीं, बल्कि कैंटिलीवर ब्रिज है. सस्पेंशन ब्रिज में, पुल का डेक मुख्य केबलों से लटका होता है, जो टावरों से बंधे होते हैं. कैंटिलीवर ब्रिज में पुल का डेक एक तरफ से दूसरी तरफ फैला होता है, और यह आमतौर पर एक तरफ से एक साइड से दूसरी साइड को सपोर्ट करता है.
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