रूस की पहली परमाणु मिसाइल से क्यों खलबली, दुनिया में कहीं भी मार, तबाही कई किमी तक, बदल देगी सारे खेल

अलास्का में ट्रंप के साथ मुलाकात से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगता है बड़ा धमाका करने वाले हैं. उन्होंने रूस के बरेंट्स समुद्र के पास बनी अपनी गुप्त परीक्षण साइट पर दुनिया की पहली परमाणु मिसाइल के टेस्ट की तैयारियां शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि ये दुनिया की सबसे भयंकर, असीमित दूरी तक मार करने वाले ऐसे मिसाइल बताई जा रही है जो जिस टारगेट पर मार करेगी, उसके आसपास के एक दो किलोमीटर के एरिया को पूरा तबाह कर देगी.

दो अमेरिकी शोधकर्ताओं और एक पश्चिमी सुरक्षा सूत्र के अनुसार, ऐसा लगता है कि अलास्का में होने वाली बातचीत से पहले ही पुतिन ये धमाका कर देंगे. तब उनकी नई परमाणु वारहेड ले जा सकने वाली और परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल का परीक्षण हो चुका होगा. दरअसल अमेरिका की कार्मशियल सेटेलाइट फर्म प्लैनेट लैब्ससैटेलाइट ने इस सीक्रेट साइट के चित्र भेजे हैं, जहां इस परमाणु मिसाइल का परीक्षण होने वाला है. इस साइट के आसपास गतिविधियां यकायक काफी तेज हो गई हैं. बेरेंट्स सागर “रूसी मिसाइल परीक्षणों के लिए एक प्रमुख स्थान” है. ये वो जगह है जहां सोवियत संघ के दिनों में सोवियत सरकार परमाणु परीक्षण किया करती थी.

उपग्रह से लिया गया चित्र, जो ये दिखाता है कि रूस पैनकोवो परीक्षण स्थल पर अपनी परमाणु मिसाइल को टेस्ट करने की तैयारी कर रहा है. (रायटर्स)
इस परमाणु मिसाइल का नाम 9M730 बुरेवेस्टनिक (स्टॉर्म पेट्रेल) है. ये दुनिया की पहली और अब तक की अकेली परमाणु संचालित मिसाइल है. अगर पुतिन ने 18 अगस्त को ट्रंप के साथ होने वाली मीटिंग के पहले इसका सफल परीक्षण कर लिया तो ये उस मीटिंग में बहुत असर डालने वाली है. माना जा रहा है कि इसके जरिए पुतिन अपना पलड़ा भारी कर लेंगे.

नाटो ने इस मिसाइल को एसएससी-एक्स-9 स्काईफॉल नाम दिया है. पुतिन कहते हैं कि ये वर्तमान की मिसाइल तो है ही साथ ही भविष्य की भी मिसाइल है, जो “अजेय” है, रेंज असीमित है और उड़ान पथ अप्रत्याशित, ये किसी रडार की पकड़ में नहीं आ सकती. हालांकि इस मिसाइल की परीक्षण रिकॉर्ड अब तक खराब रहा है. 13 परीक्षणों में से केवल दो ही आंशिक रूप से सफल रहे हैं. अमेरिका ने जरूर कई साल पहले खुद की परमाणु मिसाइल बनाने की बात की थी लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाया वहीं रूस ने ये कर दिखाया.

किस ईंधन से चलती है ये मिसाइल

9M730 बुरेवेस्टनिक न्यूक्लियर-पावर्ड और न्यूक्लियर-आर्म्ड क्रूज़ मिसाइल है, जो रासायनिक ईंधन पर नहीं, बल्कि अणु ऊर्जा पर चलती है. इसलिए इसकी रेंज असीमित मानी जाती है. मतलब ये है कि दुनिया में कहीं भी मार कर सकती है. इस मिसाइल में पारंपरिक ईंधन की जगह मिनिएचर परमाणु रिएक्टर लगा है. इससे इसे लगभग असीमित रेंज मिलती है, यानी यह दुनिया के किसी भी कोने में लक्ष्य को भेद सकती है.

परमाणु रिएक्टर के दम पर यह मिसाइल महीनों तक आसमान में उड़ सकती है, जबकि पारंपरिक मिसाइल कुछ ही घंटों तक उड़ सकती हैं. इस मिसाइल में लगा न्यूक्लियर रिएक्टर सॉलिड फ्यूल रॉकेट बूस्टर्स की ओर से हवा में उछाले जाने के बाद सक्रिय होता है.

जिस बेरेंटस सागर के तट पर इसका परीक्षण किया जा रहा है, वहां सोवियत संघ के दिनों में सोवियत सरकार परमाणु परीक्षण किया करती थी. ये रूस की सीक्रेट टेस्टिंग साइट भी कही जाती है. (Photo by Reuters)

क्यों रडार की पकड़ में नहीं आएगी ये मिसाइल

चूंकि इसकी उड़ान कम ऊंचाई पर होती है, करीब 50–100 मीटर पर, इस वजह से रडार द्वारा इसको पकड़ना मुश्किल है. यह मिसाइल अपनी दिशा और रास्ता उड़ान के दौरान भी बदल सकती है, जिससे इसे इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव हो जाता है.

क्यों कहा जा रहा है कि दुनिया में ऐसी कोई मिसाइल नहीं?

दुनिया की अन्य सभी मिसाइलें रासायनिक ईंधन से चलती हैं, जिसमें तय ईंधन और तय रेंज होती है लेकिन ये मिसाइल परमाणु ऊर्जा से संचालित है, इसलिए ये तकनीकी रूप से बहुत दूर तक जा सकती है, यही बात इसको अनूठा बनाती है.
– इसकी रेंज बहुत लंबी है यानि कहा जा सकता है कि दुनिया का हर कोना इसकी जद में है.
– कम ऊंचाई पर उड़ती और इसका मार्ग अनियमित मार्ग, इसलिए ये एयर डिफेंस के लिए चुनौती.
– इसकी रेंज 20,000 किमी या उससे ज्यादा हो सकती है, रूस इसके जरिए कहीं भी निशाना बनाया जा सकता है, मिसाल के तौर पर अमेरिका समेत दुनिया का कोई भी कोना.

इसका जोखिम क्या है

अगर परीक्षण के समय या रास्ते में कहीं दुर्घटनाग्रस्त हो गई तो वहां रेडिएशन का रिसाव हो सकता है, ये बड़ा खतरा है. अभी इस मिसाइल का भी परीक्षण रिकॉर्ड अस्थिर है. केवल 13 में ही 2 परीक्षण में सफल रही हैं, वो भी आंशिक तौर पर.

इस मिसाइल के रिएक्टर की तकनीक काफी मुश्किल रही. 2019 में एक परीक्षण के दौरान विस्फोट में कई वैज्ञानिकों की मौत भी हो गई. पहले कई टेस्ट असफल भी रहे हैं.

इस मिसाइल को कितने दिनों में बनाया गया

कई स्रोतों के अनुसार बुरेवेस्टनिक का विकास करीब 2011 में शुरू हुआ और परीक्षण शायद 2016 से. राष्ट्रपति पुतिन ने मार्च 2018 में इसे “सुपर वेपन” के रूप में पेश किया.

ये कितनी तबाही फैला सकती है

चूंकि ये मिसाइल परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है, जिसका मतलब है कि यह टारगेट पर बहुत विनाशात्मक प्रभाव छोड़ सकती है. माना जाता है कि ये अपने टारगेट के एक से दो किलोमीटर के एरिया को तबाह करने में सक्षम है. ये भी कहा जाता है कि अगर ये ICBM-स्तरीय परमाणु वारहेड के बराबर हो, तो इसका प्रभाव क्षेत्र कई किलोमीटर तक फैल सकता है, विशेष रूप से अगर यह शहरों या भारी घनी आबादी वाले क्षेत्र में गिर जाए.

अगर रूसी सेना में यह शामिल होती है, तो रूस को एक अनूठी रणनीतिक ताकत मिल जाएगी, जिससे पारंपरिक और न्यूक्लियर डिटेरेंस (दहशत) में काफी बढ़ोत्तरी हो जाएगी.

ये टेस्ट कैसे अलास्का की मीटिंग पर असर डाल सकता है

व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि दुनिया में अब तक इस मिसाइल की टक्कर में कुछ नहीं है और आने वाले कई सालों में भी ऐसी मिसाइल नहीं होगी जो इसके बराबर खड़ी हो सके. उन्होंने कहा, ये सच में एक ख़ास हथियार है. ये रूस की युद्ध लड़ने की क्षमता को काफ़ी बढ़ा देगा. जो लोग रूस को आक्रामक बयानबाजी से धमकाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें दो बार सोचना चाहिए. इस बयान के बाद जाहिर है कि ट्रंप और दुनिया इसके बाद दबाव में आ जाएगी. ट्रंप रूस को दबाव में लाने से पहले कई बार सोचेंगे.

क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइल में क्या अंतर होता है

क्रूज मिसाइल – विमान की तरह कम ऊंचाई पर उड़ती है, दिशा बदल सकती है, अत्यंत सटीक. लगातार गाइड होती रहती है.
बैलेस्टिक मिसाइल – रॉकेट की तरह ऊंची ऊंचाई तक जाती है, ज्यादा गति और रेंज होती है, शुरुआती गाइडेंस के बाद फ्री फॉल करती है, बड़े क्षेत्र में तबाही के लिए इस्तेमाल होती है.

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *