कैंसर के मरीजों का शरीर क्यों सूखकर हो जाता है कांटा? इससे मौत का कितना खतरा, नई रिसर्च में खुलासा

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Cachexia in Cancer: एक नई रिसर्च में पता चला है कि कैंसर मरीजों का वजन तेजी से घटने के पीछे मस्तिष्क और लिवर के बीच कम्युनिकेशन बाधित होना है. इस कंडीशन को कैचेक्सिया कहा जाता है, जिससे मौत का खतरा काफी बढ़ जा…और पढ़ें

कैंसर के मरीजों का शरीर क्यों सूखकर हो जाता है कांटा? इससे मौत का कितना खतराकैंसर पेशेंट्स का वजन कम हो जाए, तो इलाज भी मुश्किल हो जाता है.
New Study on Cancer: कैंसर एक घातक बीमारी है और इसका नाम सुनते ही लोगों में डर बैठ जाता है. जिस व्यक्ति को कैंसर हो जाता है, उसकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती है. अक्सर कैंसर पेशेंट्स का वजन तेजी से कम होने लगता है और उनका शरीर बिल्कुल सूख जाता है. एक हालिया स्टडी में कैंसर मरीजों के तेजी से घटते वजन के पीछे की वजह सामने आई है. इसमें पता चला है कि कैंसर पेशेंट्स के तेजी से घटते वजन का कनेक्शन हमारे ब्रेन और लिवर से जुड़ा हो सकता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो कैंसर से होने वाली लगभग 33% मौतों का कारण कैचेक्सिया है. यह एक लाइलाज मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, जिसमें मसल्स और शरीर में फैट की कमी हो जाती है और मरीज का वजन तेजी से कम होने लगता है.

शोधकर्ताओं की मानें तो कैंसर पेशेंट्स का वजन तेजी से कम हो जाए, तो इससे इलाज करना भी मुश्किल हो जाती है. इसकी वजह से कैंसर के मरीजों की मृत्यु दर बढ़ जाती है. इजरायल के वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और अमेरिका के टेक्सास एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं ने पाया कि ब्रेन और लिवर के बीच कम्युनिकेशन में रुकावट इस वजन घटने का एक प्रमुख कारण है. कैंसर के कारण होने वाली इंफ्लेमेशन वैगस नर्व की एक्टिविटी को बाधित करती है, जो ब्रेन और लिवर के बीच कम्युनिकेशन का मुख्य सोर्स है. वैगस नर्व शरीर के कई जरूर काम जैसे- पाचन, हार्ट रेट और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है. जब कैंसर के कारण शरीर में इंफ्लेमेशन होता है, तो यह वैगस नर्व के सामान्य कामकाज को बाधित कर देता है और जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाला सिंड्रोम डेवलप हो जाता है.

शोधकर्ताओं की मानें तो पैंक्रियाज और लंग कैंसर के करीब 85% मरीजों में कैचेक्सिया की कंडीशन देखने को मिलती है. स्टडी में चूहों पर प्रयोग के दौरान पाया गया कि राइट वैगस नर्व को बिना सर्जरी के ब्लॉक करने से कैचेक्सिया को रोका जा सकता है. इससे चूहों में कीमोथेरेपी का असर बढ़ा और उनकी सेहत व जीवित रहने की अवधि में सुधार हुआ. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस ट्रीटमेंट का इंसानों पर पहले से ही क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है और यह कैंसर के मरीजों के लिए एक नया ट्रीटमेंट ऑप्शन दे सकता है. यह कैचेक्सिया को रोकता है, कीमोथेरेपी के असर को बढ़ाता है और जीवित रहने की संभावना को सुधारता है. यह दिखाता है कि मस्तिष्क और शरीर का कम्युनिकेशन बीमारी में अहम भूमिका निभाता है.

रिसर्च करने वाले एक्सपर्ट्स की मानें तो यह टेक्नोलॉजी जल्द ही कैंसर मरीजों तक पहुंच सकती है. यह अध्ययन बताता है कि कैंसर मरीजों के लिए नए उपचार विकल्पों के अलावा मस्तिष्क और शरीर का कनेक्शन स्वास्थ्य और बीमारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वैगस नर्व के माध्यम से यह कनेक्शन मेटाबॉलिज्म और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे बीमारियों को समझने और उनका इलाज करने में नई संभावनाएं खुलती हैं. यह स्टडी सेल जर्नल में पब्लिश की गई है.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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कैंसर के मरीजों का शरीर क्यों सूखकर हो जाता है कांटा? इससे मौत का कितना खतरा

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