मौसम बदलते ही लोग अक्सर कहते सुने जाते हैं, “हर साल ये वायरल अलग ही तरीके से परेशान करता है.” कभी सिर्फ नाक बहती है, कभी गले में दर्द, तो कभी बुखार कई दिनों तक नहीं जाता. लेकिन क्या आपने सोचा है ऐसा होता क्यों है? वजह है, वायरस का लगातार अपना रूप बदलते रहना और हमारा इम्यून सिस्टम जो हर साल अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है.
क्या आपने ध्यान दिया है कि कभी सर्दी-जुकाम हल्का होता है और कभी वही वायरल बुखार तेज? कभी घर में दो लोग बीमार होते हैं तो उनके लक्षण बिल्कुल अलग होते हैं. ऐसा क्यों होता है? क्या वायरल भी अपना “रंग” बदलते हैं?
वायरस अपना रंग क्यों बदलते हैं?
वायरस अपना रूप इसलिए बदलते हैं क्योंकि वे हमारे शरीर की इम्यूनिटी से बचना चाहते हैं. जब हमारा शरीर किसी वायरस को पहचान कर उसे खत्म करने लगता है, तो वायरस अपने जेनेटिक स्ट्रक्चर में छोटे-छोटे बदलाव कर लेता है, जिसे म्यूटेशन कहा जाता है. इससे वायरस नए रूप में फिर से शरीर को संक्रमित कर सकता है. इसी वजह से हर सीजन में वायरल के लक्षण थोड़ा बदल जाते हैं और एक ही वायरस अलग-अलग लोगों को अलग तरीके से प्रभावित करता है.
वायरस तापमान और नमी के अनुसार बदलते हैं
वायरस लगातार अपना रूप बदलते हैं (Mutation)
वायरस अपनी सरवाइवल के लिए अपना जीन (DNA/RNA) बदलते रहते हैं, जिसे म्यूटेशन कहा जाता है.
इससे उनका:
एक ही वायरस दो लोगों पर अलग असर
एक ही वायरस दो लोगों को अलग तरीके से प्रभावित कर सकता है, क्योंकि हर इंसान की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) अलग होती है.
किसे ज्यादा असर होगा?
किसे कम असर होता है?
वायरस सभी पर अलग असर क्यों करता है?
इसके पीछे दो प्रमुख वजहें हैं:
1.जनरल हेल्थ कंडीशन
2.जेनेटिक डिफरेंस
हर सीजन के वायरल से बचने के 5 आसान तरीके
हाथ साफ रखें – बाहर से आने पर हाथ धोएं/सैनिटाइज़ करें.
इम्यूनिटी बढ़ाएं – फल, दही, नींबू, आंवला और हल्दी-दूध लें.
गर्म-सर्द से बचें – AC से निकलकर तुरंत धूप में या उल्टा न जाएं.
नींद पूरी रखें – रोज 7-8 घंटे की नींद इम्यून सिस्टम की रक्षा करती है.
भीड़ में सावधानी – सर्दी-खांसी वाले लोगों से दूरी रखें, जरूरत हो तो मास्क लगाएं.