बरसात में क्यों बढ़ जाती है एंजायटी की समस्या? आखिर क्या है इसकी वजह, डॉक्टर से समझ लीजिए

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Monsoon Anxiety: मानसून में धूप की कमी, अत्यधिक उमस और अनिश्चित माहौल के कारण एंजायटी की समस्या बढ़ जाती है. सही रूटीन, रेगुलर एक्सरसाइज और सोशली कनेक्ट होकर इस मौसम में मेंटल हेल्थ को ठीक रखा जा सकता है.

बरसात में मेंटल हेल्थ बिगड़ने का खतरा बढ़ जाता है.

हाइलाइट्स

  • मानसून में धूप की कमी से एंजायटी की समस्या बढ़ जाती है.
  • अकेलेपन और इनएक्टिविटी से मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है.
  • नियमित व्यायाम और प्राकृतिक रोशनी से राहत मिलती है.
Anxiety in Monsoon: बारिश के मौसम में लोगों को गर्मी से राहत मिलती है, क्योंकि आसमान में बादल छाए रहते हैं और धूप कम ही निकलती है. इसकी वजह से मौसम सुहावना हो जाता है. हालांकि इस मौसम में लोगों को स्ट्रेस और एंजायटी का सामना ज्यादा करना पड़ता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि मानसून के दौरान एंजायटी (Anxiety) के मामलों में बढ़ोतरी हो जाती है. अब सवाल है कि मौसम अच्छा होने के बावजूद मानसून में एंजायटी क्यों बढ़ जाती है? आखिर इसकी क्या वजह है और इससे कैसे बचा जा सकता है? इन सभी सवालो के जवाब एक्सपर्ट से जान लेते हैं.

नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर और साइकेट्रिस्ट डॉ. प्रेरणा कुकरेती ने News18 को बताया कि मानसून में लगातार बादल छाए रहने और सूरज न निकलने से शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती है. धूप हमारे शरीर में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर को एक्टिव करने में मदद करती है, जो मूड को बेहतर बनाए रखने में मददगार है. जब सूरज की रोशनी कम मिलती है, तो सेरोटोनिन का स्तर घट जाता है, जिससे व्यक्ति चिड़चिड़ा, उदास या घबराया हुआ महसूस कर सकता है. यही कारण है कि मानसून में मूड स्विंग्स और एंजायटी की समस्या बढ़ जाती है.

डॉक्टर ने बताया कि बारिश के कारण लोग अक्सर घरों में बंद हो जाते हैं. बाहर निकलने की गतिविधियां सीमित हो जाती हैं, जिससे लोगों से मिलना-जुलना कम हो जाता है. अकेलेपन और इनएक्टिविटी का यह कॉम्बिनेशन मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. जब इंसान ज्यादा समय अकेले बिताता है, तब उसके विचार नकारात्मक दिशा में जाने लगते हैं और वह एंजायटी या डिप्रेशन की ओर बढ़ सकता है. मानसून में बारिश के कारण लोगों को अपने प्लान कैंसिल करने पड़ते हैं, जिससे अनिश्चितता का माहौल बनाता है. एंजायटी से पीड़ित लोगों के लिए यह कंडीशन ज्यादा तनावपूर्ण हो जाती है. जब चीजें उनके प्लान के अनुसार नहीं होतीं, तो चिंता और बेचैनी बढ़ जाती है.

मानसून में वातावरण ज्यादा उमस भरा हो जाता है, जिससे नींद की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ सकता है. नींद की कमी से ब्रेन को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है, जिससे मानसिक थकान और एंजायटी बढ़ जाती है. इसके अलावा लगातार बदलते मौसम और तापमान से शरीर की नेचुरल बायोलॉजिकल क्लॉक प्रभावित होती है, जिससे नींद और मूड दोनों पर असर पड़ता है. बरसात के मौसम में केवल बाहरी वातावरण नहीं है, बल्कि हमारे शरीर और ब्रेन में होने वाले बायोलॉजिकल और हार्मोनल बदलाव एंजायटी की समस्या को बढ़ा सकते हैं. इससे बचने की जरूरत होती है.

अब सवाल है कि मानसून में एंजायटी से कैसे बचें? इस पर डॉक्टर प्रेरणा ने बताया कि मानसून में मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. नियमित रूप से व्यायाम करें, चाहें वह घर के अंदर ही क्यों न हो. योग और प्राणायाम करने से एंजायटी से राहत मिल सकती है. दिन के समय कुछ देर बालकनी या खिड़की पर बैठकर प्राकृतिक रोशनी लें. हेल्दी डाइट लें और नींद का समय तय रखें. अगर एंजायटी बहुत ज्यादा हो रही हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें. मानसून हमारे मन पर असर डालने वाला एक समय है, जिसे समझकर मन को कंट्रोल किया जा सकता है.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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बरसात में क्यों बढ़ जाती है एंजायटी की समस्या? आखिर क्या है इसकी वजह

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