ChatGPT: आज के डिजिटल युग में युवा तेजी से ChatGPT जैसे AI चैटबॉट्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं लेकिन यह ट्रेंड मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शिक्षकों के लिए चिंता का कारण बन गया है. युवा अब इन बॉट्स के साथ अपने गहरे भाव निजी संघर्ष और असुरक्षा साझा कर रहे हैं जिससे एक खतरनाक निर्भरता का जन्म हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह “डिजिटल सुरक्षित ज़ोन” केवल एक भ्रम है जो युवाओं को नकली तस्सली देता है और उनके भावनात्मक विकास और सामाजिक कौशल को कमजोर करता है.
मोबाइल नहीं परिवार बनाएं भावनात्मक जगह
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, युवाओं में यह गलत सोच घर कर चुकी है कि फोन उनका निजी क्षेत्र है जहां वे बिना किसी जजमेंट के अपने मन की बात कर सकते हैं. लेकिन ChatGPT पर साझा की गई जानकारी पूरी तरह से सार्वजनिक डोमेन में होती है. बच्चे तब ChatGPT की ओर मुड़ते हैं जब वे अकेलेपन, निराशा या भावनात्मक दबाव में होते हैं. उन्हें लगता है कि बॉट उन्हें जज नहीं करेगा. यह एक गंभीर संवादहीनता का संकेत है जो अक्सर परिवारों से शुरू होती है. यदि माता-पिता अपने संघर्ष या असफलताएं बच्चों से साझा नहीं करते तो बच्चे खुद की भावनाएं भी नहीं समझ पाते और “मान्यता की लत” का शिकार हो जाते हैं.
AI का ‘पॉज़िटिव रिस्पॉन्स’ बना रहा है आभासी भरोसा
AI चैटबॉट्स अक्सर तनाव के समय यह कहकर जवाब देते हैं “चिंता मत करो, हम इसे मिलकर सुलझा लेंगे.” इस तरह के जवाब युवाओं को एक भावनात्मक जुड़ाव की अनुभूति देते हैं जो उन्हें बार-बार वापिस लौटने को प्रेरित करता है.
माता-पिता खुद बने हैं डिजिटल डिस्टेंस के कारण
बच्चों की इस बढ़ती निर्भरता के पीछे एक बड़ा कारण खुद माता-पिता की डिजिटल लत है. वे बच्चों को भले ही भौतिक सुख दें लेकिन भावनात्मक समय नहीं देते. ChatGPT इस खालीपन को भरने की कोशिश कर रहा है लेकिन “यह एक मशीन है जिसमें न भावनाएं हैं, न ही सही मार्गदर्शन देने की क्षमता.”
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