फलों पर क्यों लगाए जाते हैं स्टीकर? क्या इनमें छिपा है सेहत का राज, 90% लोग नहीं जानते होंगे ये बातें

What Fruits Sticker Indicates: आजकल बाजार में अधिकतर फलों पर स्टीकर लगे हुए नजर आते हैं. जब हम फल खरीदने के लिए मार्केट या दुकान पर जाते हैं, तब दुकानदार स्टीकर वाले फलों को बढ़िया क्वालिटी का बताते हैं. खासकर सेब, केला, संतरा, कीवी जैसे फलों को देखते हैं, तो इन पर छोटे-छोटे रंगीन स्टीकर लगे होते हैं. बहुत से लोग इन स्टीकरों को केवल ब्रांड का नाम या कंपनी का लोगो समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. हालांकि इन स्टीकर्स का मकसद सिर्फ पहचान देना ही नहीं होता, बल्कि ये फल की खेती, उसकी गुणवत्ता, किस प्रकार से उगाए गए हैं और कैसे पैक किए गए हैं, इस बारे में भी अहम जानकारी देते हैं. ये स्टीकर फल के बारे में लोगों को जागरूक करने का जरिया होते हैं.

क्या होता है स्टीकर पर लिखे नंबरों का मतलब?

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो फलों के स्टीकर पर एक कोड लिखा होता है, जिसे प्राइस लुक अप (PLU) कोड कहा जाता है. यह एक प्रकार का यूनिक नंबर होता है जो फल की खेती और प्रकृति को दर्शाता है. आपको बता रहे हैं कि फलों पर लिखे गए किन नंबरों का क्या मतलब होता है और इन्हें आपको खरीदना चाहिए या नहीं.

4 अंकों वाला कोड जैसे 4011 – यह बताता है कि फल सामान्य तरीके से यानी पारंपरिक खेती से उगाया गया है. इसमें कीटनाशक, रसायन या उर्वरकों का उपयोग हो सकता है. बाजार में मिलने वाले अधिकतर फल पारंपरिक तरीके से ही उगाए जाते हैं.

5 अंकों का कोड जो 9 से शुरू होता है जैसे 94011 – इसका मतलब है कि फल ऑर्गेनिक है. इसे रासायनिक कीटनाशक या उर्वरक के बिना प्राकृतिक तरीके से उगाया गया है. ऐसे फल ज्यादा सेहतमंद माने जाते हैं. हालांकि इनकी कीमत ज्यादा होती है.

5 अंकों का कोड जो 8 से शुरू होता है जैसे 84011 – यह फल जेनेटिकली मोडिफाइड (GMO) है. यानी इसका डीएनए वैज्ञानिक तरीकों से बदला गया है, ताकि फल में कुछ खास गुण आएं जैसे ज्यादा पैदावार या कीट प्रतिरोध वाले गुण. ऐसे फल बाजार में आमतौर पर कम ही होते हैं, क्योंकि ये बेहद खास होते हैं.

स्टीकर से हमें क्या-क्या जानकारी मिलती है?

स्टीकर्स में न केवल फल की खेती का तरीका लिखा होता है, बल्कि इससे हमें फल की अन्य कई जानकारियां भी मिलती हैं. जैसे कि फल कहां से आया है, किस देश या राज्य का है, किस कंपनी या ब्रांड ने इसे पैक किया है और क्या यह ऑर्गेनिक या सामान्य खेती का फल है. कई बार स्टीकर पर फल की कटाई या पैकिंग की तारीख भी लिखी होती है, जिससे पता चलता है कि फल कितना ताजा है. यह जानकारी लोगों को सही निर्णय लेने में मदद करती है कि वे किस फल को खरीदें और कौन सा फल उनकी सेहत के लिए बेहतर होगा.

क्या स्टीकर नकली भी हो सकते हैं?

आज के समय में बाजार में मिलावटी और नकली फलों की समस्या बढ़ती जा रही है. कई बार दुकानदार नकली ऑर्गेनिक फल असली दिखाने के लिए नकली या जाली स्टीकर भी लगा देते हैं, जिससे ग्राहक धोखा खा सकता है. ऐसे मामलों में सिर्फ स्टीकर देखकर भरोसा करना गलत हो सकता है. इसलिए फल की खुशबू, रंग, ताजगी और अन्य प्राकृतिक लक्षणों को देखकर खरीदारी करनी चाहिए. नकली स्टीकर लगाने का मकसद ग्राहक को भ्रमित कर सही गुणवत्ता से वंचित करना होता है.

स्टीकर की जानकारी को नजरअंदाज न करें

अधिकांश लोग फल खरीदते वक्त स्टीकर को बिना पढ़े हटाकर फेंक देते हैं. यह एक गलत आदत है, क्योंकि इन स्टीकरों में छिपी जानकारियां हमारे लिए बहुत जरूरी होती हैं. यदि हम थोड़ा ध्यान दें और इन नंबरों के अर्थ को समझें, तो हम अपने लिए और अपने परिवार के लिए सेहतमंद विकल्प चुन सकते हैं. यह छोटी सी जानकारी हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार साबित होती है. जागरूक ग्राहक ही बाजार में सही उत्पादों को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे कुल मिलाकर हमारी सेहत सुरक्षित रहती है.

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