Trump Tariffs: यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का सामना कर रहे मॉस्को से भारत द्वारा तेल खरीदना अब भारी पड़ सकता है. वर्तमान में भारत अपनी कुल जरूरतों का करीब 40 प्रतिशत तेल रूस से आयात कर रहा है. ऐसे समय में जब अमेरिकी धमकी के चलते दुनिया के अधिकांश देशों ने रूस से दूरी बना ली और उससे तेल खरीदना बंद कर दिया, नई दिल्ली और बीजिंग ने न सिर्फ खरीद जारी रखी, बल्कि वाशिंगटन की चेतावनियों की अनदेखी भी की. अब अमेरिका को यह रवैया नागवार गुजर रहा है. उसने न केवल 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही है, बल्कि भारत पर भारी जुर्माने की धमकी भी दी है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “भारत न सिर्फ रूस से तेल खरीद रहा है, बल्कि उस तेल को ओपन मार्केट में ऊंचे मुनाफे पर बेच भी रहा है.” उन्होंने आगे कहा कि “रूस के हथियारों से यूक्रेन में कई निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं. ऐसे में भारत को अमेरिकी टैरिफ और शुल्क का भुगतान बढ़ाना होगा.”
क्यों धमका रहा अमेरिका?
हालांकि, यह बयान केवल गुस्से की प्रतिक्रिया नहीं है. ट्रंप की भारत पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी का संबंध सिर्फ रूस-यूक्रेन युद्ध से नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की रणनीतिक ऊर्जा नीति, व्यापार हितों और दबाव कूटनीति से जुड़ा हुआ है.
अमेरिका, भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इसके अलावा, भारत का पांचवां सबसे बड़ा तेल निर्यात भी अमेरिका बन चुका है. ऐसे में टैरिफ बढ़ने का असर कपड़े, दवाएं, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों पर पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप टैरिफ को हथियार के रूप में नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे भारत के साथ व्यापार और ऊर्जा साझेदारी को नई दिशा दी जा सके.
रूस क्यों बना भारत की पहली पसंद?
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत, रूस का सबसे बड़ा तेल ग्राहक बन गया है. सिर्फ इस साल जनवरी से जून के बीच, भारत ने रूस से प्रतिदिन 1.75 मिलियन बैरल से ज्यादा कच्चा तेल खरीदा, जो उसकी कुल जरूरत का करीब 40 प्रतिशत है. अमेरिका की आलोचना के बावजूद, भारत का यह कदम घरेलू महंगाई को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित हुआ.
अमेरिका की मंशा क्या है?
ट्रंप की रणनीति दरअसल अमेरिकी तेल निर्यातकों को बढ़ावा देने की है. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, हाल ही में अमेरिकी तेल और गैस सेक्टर को 18 अरब डॉलर का टैक्स पैकेज दिया गया है — जो इस मंशा का बड़ा संकेत है. भारत पहले से ही अमेरिका से तेल खरीदने वाला एक उभरता ग्राहक है. इस साल की पहली छमाही में अमेरिका से तेल आयात 50 प्रतिशत तक बढ़ा है. यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, भारत इस समय अपनी तेल जरूरतों का 8 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका से आयात कर रहा है.
असली चाल क्या है?
भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना अमेरिका को आर्थिक और रणनीतिक रूप से असुविधाजनक लग रहा है. ट्रंप की धमकी दरअसल भारत को अमेरिका की शर्तों पर झुकाने और अपने तेल निर्यातकों के हित साधने की एक राजनीतिक चाल है.
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