ट्रंप-पुतिन बैठक के लिए अलास्का को ही क्यों चुना गया, किस बात से बचने की कोशिश

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Trump and Putin to meet in Alaska: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन 15 अगस्त को अलास्का में यूक्रेन युद्ध समाप्ति पर चर्चा करेंगे. अलास्का का चयन पुतिन को आईसीसी गिरफ्तारी वारंट से बचाने के लिए…और पढ़ें

ट्रंप-पुतिन बैठक के लिए अलास्का को ही क्यों चुना गया, किस बात से बचने की कोशिशअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 11 नवंबर, 2017 को वियतनाम के दानंग में APEC शिखर सम्मेलन में बातचीत करते हुए.
Trump and Putin to meet in Alaska: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत करने के लिए 15 अगस्त को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे. ट्रंप ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर यह बहुप्रतीक्षित घोषणा की. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की सहित सभी पक्ष युद्ध विराम समझौते के करीब हैं. यह बैठक साढ़े तीन साल से चल रहे संघर्ष को सुलझा सकती है. जिसके लिए यूक्रेन को महत्वपूर्ण क्षेत्र सौंपना पड़ सकता है.

ट्रंप और पुतिन अलास्का के किस शहर या किसी जगह पर मिलेंगे, इसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ है. इस साल की शुरुआत में ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद यह ट्रंप और पुतिन के बीच पहली आमने-सामने की मुलाकात होगी. साथ ही यह पहली बार होगा जब दोनों नेता अमेरिकी धरती पर मिलेंगे. यह शिखर सम्मेलन न केवल साढ़े तीन साल पुराने संघर्ष के लिए, बल्कि अमेरिका-रूस संबंधों और दोनों राष्ट्रों के बीच सेतु के रूप में अलास्का की अपनी विरासत के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण होगा.

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तीनों पक्षों का क्या है कहना?
व्हाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने सुझाव दिया कि समझौते में कुछ भूमि का आदान-प्रदान भी शामिल होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “दोनों के हित में कुछ क्षेत्रों की अदला-बदली होगी.” हालांकि राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने संविधान का उल्लंघन नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा, “यूक्रेनी लोग अपनी जमीन कब्जा करने वालों को उपहार में नहीं देंगे.” पुतिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने कहा कि दोनों नेता “यूक्रेनी संकट के दीर्घकालिक शांतिपूर्ण समाधान के लिए विकल्पों पर चर्चा करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.”

बैठक के लिए अलास्का को ही क्यों चुना?
फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक बैठक स्थल के रूप में अलास्का का चयन पुतिन उन कानूनी जटिलताओं से बचाता है जो उनके अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के किसी सदस्य राज्य की यात्रा करने पर उत्पन्न हो सकती थीं. रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों के संबंध में आईसीसी द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के अधीन हैं. जिसका अर्थ है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अगर वह उनके क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो आईसीसी सदस्य देश उन्हें हिरासत में लेने के लिए बाध्य होंगे. अमेरिका आईसीसी का सदस्य नहीं है और इसके अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता. जिससे उसके लिए पुतिन को गिरफ्तार करने का कानूनी दायित्व समाप्त हो जाता है.

भौगोलिक स्थिति भी ज्यादा व्यावहारिक
अलास्का की भौगोलिक स्थिति ने भी इसे एक व्यावहारिक विकल्प बना दिया. राज्य की मुख्य भूमि बेरिंग जलडमरूमध्य के पार रूस से केवल 88 किलोमीटर (55 मील) की दूरी पर स्थित है. इसके कुछ छोटे द्वीप इससे भी करीब हैं. हालांकि क्रेमलिन ने पहले ही संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य संभावित स्थानों का प्रस्ताव रखा था, लेकिन ट्रंप ने अपनी घोषणा में पुष्टि की कि वह अलास्का में पुतिन की मेजबानी करेंगे.

पहले अलास्का पर था रूस का कब्जा
अलास्का का रूस से संबंध दो शताब्दियों से भी ज्यादा पुराना है. रूसी साम्राज्य ने 18वीं शताब्दी में इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों की खोज की फिर बसावट शुरू की. उन्होंने फर व्यापार चौकियां स्थापित कीं और बेरिंग सागर के पार अपनी उपस्थिति का विस्तार किया. 30 मार्च, 1867 को अमेरिका और रूस ने अधिग्रहण संधि पर हस्ताक्षर किए. जिसके तहत रूस ने अलास्का को उस समय 7.2 मिलियन डॉलर में अमेरिका को हस्तांतरित कर दिया. जो कि लगभग दो सेंट प्रति एकड़ था. इस समझौते से उत्तरी अमेरिका में रूस की 125 वर्षों की मौजूदगी खत्म हो गई. जो अपने चरम पर कैलिफोर्निया के फोर्ट रॉस तक फैली हुई थी.

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यह अधिग्रहण अमेरिका के लिए फायदेमंद
अमेरिका के लिए, यह अधिग्रहण आर्थिक और रणनीतिक, दोनों ही दृष्टियों से प्रेरित था. अधिकारियों ने अलास्का को प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध माना-जिसमें सोना, फर, मत्स्य पालन और बाद में पेट्रोलियम भी शामिल है. अमेरिका ने इसका इस्तेमाल पूर्वी एशिया के साथ व्यापार के लिए एक संभावित प्रवेश द्वार के रूप में किया. इस क्षेत्र ने वर्षों में अपार संपदा अर्जित की और सैकड़ों अरब डॉलर के संसाधन निकाले गए. जिनमें 19वीं शताब्दी में व्हेल तेल और फर से लेकर बाद के दशकों में तांबा, सोना, लकड़ी, मछली, प्लैटिनम, जस्ता, सीसा और पेट्रोलियम तक शामिल थे. आज भी अलास्का में प्रचुर मात्रा में तेल भंडार मौजूद हैं. 

कब बना अलास्का अमेरिकी राज्य?
अलास्का 1959 में 49वां अमेरिकी राज्य बना जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर ने अलास्का स्टेटहुड एक्ट पर हस्ताक्षर किए. इस कानून ने राज्य को 104 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि पर नियंत्रण प्रदान किया. लेकिन इसमें यह प्रावधान भी शामिल था कि नए राज्य के नागरिक मूल निवासी स्वामित्व के तहत भूमि पर अपने दावों को छोड़ देंगे. यह धारा विवादास्पद थी, क्योंकि अलास्का के मूल निवासी (जिनकी संख्या उस समय लगभग 75,000 थी) का इस क्षेत्र के अधिकांश भाग पर लंबे समय से दावा था. 1971 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अलास्का मूल निवासी दावा निपटान अधिनियम पर हस्ताक्षर किए. जिसके तहत 44 मिलियन एकड़ भूमि हस्तांतरित करके तथा अलास्का के मूल निवासियों को 1 बिलियन डॉलर प्रदान करके इन विवादों का समाधान किया गया. आज राज्य की जनसंख्या लगभग 740,000 है, जिसमें लगभग 120,000 स्वदेशी निवासी शामिल हैं.

क्यों अहम है अलास्का की स्थिति?
अलास्का का स्थान इसे अमेरिकी रक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण एसेट बनाता है. यह राज्य प्रमुख अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठानों का घर है, जिनमें एंकोरेज के पास ज्वाइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन और फेयरबैंक्स के पास आइल्सन एयर फोर्स बेस शामिल हैं. आर्कटिक में क्षेत्र रखने वाला एकमात्र अमेरिकी राज्य होने के नाते इसकी स्थिति यह सुनिश्चित करती है कि यह अमेरिका की आर्कटिक नीति में केंद्रीय भूमिका निभाए. विशेष रूप से तब जब जलवायु परिवर्तन के कारण इस क्षेत्र में नए शिपिंग मार्ग और संसाधन खोज के अवसर खुल रहे हैं. आर्कटिक से जुड़ा यह संबंध अलास्का को वैश्विक सुरक्षा, वाणिज्य और पर्यावरण संबंधी चिंताओं से संबंधित उच्च स्तरीय चर्चाओं की मेजबानी के लिए एक स्वाभाविक विकल्प बनाता है. यद्यपि 15 अगस्त का शिखर सम्मेलन अपने आप में ऐतिहासिक होगा, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब अलास्का अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में रहा है.

कई बड़ी बैठकों का गवाह रहा अलास्का
पिछली बार अलास्का ने एक उच्च-स्तरीय राजनयिक सम्मेलन की मेजबानी मार्च 2021 में की थी. जब डेमोक्रेटिक पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने एंकोरेज में शीर्ष चीनी अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी. बाइडन के शीर्ष राजनयिक एंटनी ब्लिंकन और उनके चीनी समकक्ष यांग जिएची के बीच यह मुलाकात जल्द ही कैमरों के सामने एक चौंकाने वाली सार्वजनिक झड़प में बदल गई थी. जिसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की नीतियों की तीखी आलोचना की, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव सामने आया. इससे पहले 1984 में राज्य ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के साथ पोप जॉन पॉल द्वितीय की मुलाकात की मेजबानी की थी. 1971 में निक्सन ने अलास्का में जापान के सम्राट से मुलाकात की थी.

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