सच होने वाली है WHO की भविष्यवाणी ! 73 साल पुराना वायरस फिर लौटा, चीन में 7000 लोग हुए शिकार

Chikungunya Virus Outbreak: आज से करीब 20 साल पहले जिस वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी, वह एक बार फिर वापस आ गया है. इस वायरस का नाम चिकनगुनिया (Chikungunya) है. पिछले कुछ महीनों से ला रीयूनियन, मायोट और मॉरीशस जैसे द्वीपों से फैलकर चिकनगुनिया वायरस मैडागास्कर, सोमालिया और केन्या जैसे अफ्रीकी देशों तक पहुंच गया था. अब चीन में यह तेजी से फैल रहा है. चीन के गुआंगडोंग प्रांत में मच्छर से फैलने वाले चिकनगुनिया वायरस के 7000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. इस वायरस को महामारी बनने से रोकने के लिए चीन में बड़े-बड़े जाइंस मच्छर छोड़े जा रहे हैं, जो चिकनगुनिया फैलाने वाले छोटे मच्छरों को खत्म कर सकते हैं. सरकार की तरफ से चीनी प्रांत के सभी लोगों को अपने घरों में जमा पानी हटाने के निर्देश दिए गए हैं.ऐसा न करने पर 1 लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाने की वॉर्निंग भी दी गई है.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने पिछले महीने ही चेतावनी दी थी कि एक बार चिकनगुनिया एशियाई देशों से लेकर यूरोप तक तबाही मचा सकता है. इस वक्त एशिया और यूरोप के कई देशों में इसके केस लगातार बढ़ रहे हैं. WHO ने बताया था कि इस वक्त 119 देशों में करीब 560 करोड़ लोग चिकनगुनिया इंफेक्शन के खतरे में हैं. चिकनगुनिया के मामले सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि भारत में भी हर साल देखने को मिलते हैं. बरसात में मच्छरों का कहर बढ़ जाता है और चिकनगुनिया वायरस भी ज्यादा फैलने लगता है. साल 2005 में चिकनगुनिया ने महामारी का रूप ले लिया था और तब यह बीमारी हिंद महासागर के छोटे द्वीपों से शुरू होकर 5 लाख से ज्यादा लोगों में फैल गई थी. रेयर मामलों में चिकनगुनिया विकलांगता का कारण बन सकता है.

दुनियाभर में चिकनगुनिया को लेकर क्यों है टेंशन?

WHO के मुताबिक एक वक्त था, जब चिकनगुनिया वायरस उष्णकटिबंधीय देशों में फैलता था. तब यूरोप में इसका खतरा बेहद कम था, लेकिन अब यूरोप में भी चिकनगुनिया वायरस के मामले देखने को मिल रहे हैं, जिससे एक्सपर्ट्स की चिंता बढ़ गई है. जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल टूरिज्म के कारण यह वायरस अब यूरोप में भी फैल रहा है. फ्रांस में 1 मई के बाद से चिकनगुनिया के लगभग 800 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 12 स्थानीय संक्रमण शामिल हैं. कुछ मामलों में मच्छरों के जरिए बिना यात्रा किए लोग संक्रमित हो रहे हैं. इटली में भी हाल ही में एक मामला दर्ज किया गया है. इससे साफ है कि अब यह एशियाई देशों से लेकर यूरोप तक फैल रहा है, जिससे सभी की चिंता बढ़ गई है. भारत की बात करें, तो देश में चिकनगुनिया के मामले हर साल सामने आते हैं, लेकिन स्थिति कंट्रोल में रहती है. हालांकि इससे बचना बेहद जरूरी है.

चिकनगुनिया क्या है और कैसे फैलता है?

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत ने News18 को बताया कि चिकनगुनिया एक वायरल बुखार है, जो मच्छरों के जरिए फैलता है. यह एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों से फैलने वाला वायरस है. ये मच्छर जो दिन के समय ज्यादा एक्टिव रहते हैं. चिकनगुनिया वायरस सबसे पहले 1952 में तंजानिया में पहचाना गया था. यह बीमारी शरीर में तेज जोड़ों के दर्द का कारण बनती है, जिससे चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है. जब कोई मच्छर किसी चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह मच्छर भी संक्रमित हो जाता है. इसके बाद जब वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है. यह व्यक्ति से व्यक्ति में सीधे संपर्क से नहीं फैलता, लेकिन एक ही क्षेत्र में कई लोगों को एक साथ बीमार कर सकता है. खासकर बरसात के मौसम में इसका प्रकोप बढ़ता है, जब मच्छर ज्यादा पनपते हैं.

चिकनगुनिया के लक्षण और इलाज क्या है?

डॉक्टर के अनुसार चिकनगुनिया के लक्षण वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने के 4 से 8 दिन बाद दिखाई देते हैं. इस वायरस से संक्रमित होने पर लोगों को तेज बुखार, हाथ-पैर, घुटनों और कलाई में असहनीय दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और रैशेज जैसे लक्षण नजर आते हैं. कुछ मामलों में आंखों में जलन और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. जोड़ों का दर्द कई बार हफ्तों या महीनों तक बना रह सकता है, जिससे मरीज को चलने-फिरने में कठिनाई होती है. इलाज की बात करें, तो चिकनगुनिया का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है. इसके लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है. बुखार के लिए पैरासिटामोल और दर्द के लिए पेनकिलर देते हैं. ऐसे मरीजों को ज्यादा से ज्यादा आराम करने और पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जाती है. जोड़ों के दर्द के लिए हल्की फिजिकल थैरेपी भी फायदेमंद हो सकती है.

क्या चिकनगुनिया की कोई वैक्सीन उपलब्ध है?

डॉ. रावत ने बताया कि अभी तक चिकनगुनिया वायरस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन कई देशों में इस पर रिसर्च और ट्रायल चल रहे हैं. कुछ वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के चरण में हैं और भविष्य में उपलब्ध हो सकती हैं. जब तक वैक्सीन नहीं आती, तब तक रोकथाम ही सबसे अच्छा उपाय है. मच्छरों से बचाव करना, स्वच्छता बनाए रखना और समय पर लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू करना इस बीमारी से बचने के सबसे प्रभावी तरीके हैं.

चिकनगुनिया से कैसे बचा जा सकता है?

एक्सपर्ट की मानें तो चिकनगुनिया से बचने के लिए मच्छरों से बचाव सबसे जरूरी है. मच्छरों के काटने से बचने के लिए फुल स्लीव कपड़े पहनें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और घर के आसपास पानी जमा न होने दें. पानी के बर्तनों को ढककर रखें और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का उपयोग करें. खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं ताकि मच्छर घर में न घुसें. बरसात के मौसम में विशेष सावधानी बरतें, क्योंकि इसका प्रकोप इस मौसम में ही सबसे ज्यादा होता है.

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