Anil Ambani Loan Fraud Case: अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 3,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहली गिरफ्तरी की है. बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल को शुक्रवार को हिरासत में लिया गया. उन पर सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 68.2 करोड़ रुपये की जाली बैंक गारंटी जमा करने का आरोप है, जो कथित तौर पर रिलायंस पावर की ओर से दी गई थी.
अब बुधवार तक ईडी करेगी पूछताछ
बिस्वॉल को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तर किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तारी के बाद स्पेशल कोर्ट में उनकी पेशी हुई, जिसके बाद उन्हें बुधवार तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया.
सूत्रों की दी गई जानकारी के मुताबिक, 2019 में स्थापित बिस्वाल ट्रेडलिंक ने जाली दस्तावेजों और नकली ईमेल कंफर्मेशन के जरिए फर्जी गारंटी जमा की थी. जांच के दौरान पाया गया कि ये ईमेल एक नकली डोमेन ‘s-bi.co.in’ से भेजे गए थे, जो भारतीय स्टेट बैंक के ऑफिशियल डोमेन ‘sbi.co.in’ से काफी मिलता-जुलता है.
रिलायंस पावर से कंपनी को मिले इतने करोड़ रुपये
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने पहले इन निष्कर्षों के आधार पर एक मामला दर्ज किया और फिर आगे की जांच की गई, तो पता चला कि इस फर्जी बैंक गारंटी के बदले बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड को रिलायंस पावर लिमिटेड से 5.40 करोड़ रुपए मिले थे. ईडी ने फर्म से जुड़े कम से कम सात अघोषित बैंक खातों का भी खुलासा किया, साथ ही फर्जी निदेशकों के इस्तेमाल और अनिवार्य रिकॉर्ड-कीपिंग मानदंडों का पालन न करने का भी खुलासा किया.
फर्जी बैंक गारंटी के बदले 8 परसेंट कमीशन
पार्थ सारथी बिस्वाल की यह गिरफ्तारी 2017 और 2019 के बीच रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को यस बैंक की तरफ से लोन के रूप में दिए गए 3000 करोड़ के संदिग्ध हेराफेरी के मामले की गहरी जांच के बाद की गई. ईडी ने शुक्रवार को बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के भुवनेश्वर स्थित तीन परिसरों और कोलकाता में एक सहयोगी कंपनी की तलाशी ली थी. जांच एजेंसी के सूत्रों का आरोप है कि यह कंपनी 8 परसेंट कमीशन के बदले फर्जी बैंक गारंटी जमा कराती थी.
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