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क्या आप जानते है, की आखिर पंडित प्रदीप मिश्रा कौन है, और उन्हें देखने सुनने के लिए क्यों लाखों की भीड़ क्यों उमड़ती है. उनके मुख से शिव महापुराण कथा सुनने पंडाल छोटा पड़ जाता है. आइए जानते है सबकुछ.
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले का कुबरेश्वर धाम और पंडित प्रदीप मिश्रा फिर एक बार चर्चा में आए है. मंगलवार को कुबरेश्वर धाम में हुई भगदड़ में कई लोग घायल हो गए, जबकि दो महिलाओं की मौत की खबर भी सामने आई है. फिलहाल प्रशासन सुरक्षा के कड़े इंतजाम में जुटा है.

हालांकि, कुबेरेश्वर धाम में भगदड़ का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 16 फरवरी साल 2023 में भी रुद्राक्ष वितरण के दौरान भगदड़ मची थी. तब एक महिला की मौत हो गई थी. इस भगदड़ में 4 लोग लापता भी हुए थे. दूसरे दिन 17 फरवरी को एक 3 साल के बच्चे की मौत हो गई थी.

लेकिन, क्या आप जानते है, की आखिर पंडित प्रदीप मिश्रा कौन है, और उन्हें देखने सुनने के लिए क्यों लाखों की भीड़ उमड़ती है. आज देश-विदेश में उनका नाम ओर कुबेरेश्वर धाम प्रसिद्ध हो चुका है. दरअसल, पंडित प्रदीप मिश्रा इसी जगह से आते है. जो कुछ सालों में इतने प्रसिद्ध हो गए कि आज हर कोई उन्हें देखना और सुनना चाहता है.

देश के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण कथा सुनाते है. कथा के साथ साथ वह लोगों को जीने की राह भी दिखाते है. उनकी कथा सुनने लोग मीलों पैदल चलकर आते हैं, और सिर्फ सुनने नहीं, बस एक झलक पाने के लिए भी घंटों धूप में खड़े रहते हैं. उन्हें लोग ‘सीहोर वाले बाबा’ कहते हैं.

सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में उन्हें देखने ओर मिलने लाखों लोग जाते है. सावन के महीने में तो यहां मेला सा लग जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश विदेश में प्रसिद्धि पाने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा बहुत साधारण ब्राह्मण परिवार से आते है. बचपन तंगी में बीता. उनके पिता सीहोर में चने बेचते थे.

इनका जन्म 16 जून 1977 को हुआ था. पिता रामेश्वर दयाल मिश्रा के चने का ठेला लगाते थे. शुरुआती दिनों में आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, उनके माता‑पिता ने धार्मिक मूल्यों का पालन कराया. बचपन से ही उन्हें धार्मिक ग्रंथ और भजन‑कीर्तन करने में रुचि रही.

प्रदीप मिश्रा ने स्नातक की डिग्री हासिल की और एक समय स्कूल में पढ़ाने का काम किया. लेकिन उनकी रुचि कथा वाचन में थी. उन्होंने नौकरी छोड़ी और धार्मिक प्रवचन को अपना मुख्य पेशा बना लिया. भगवान शिव की कथा कहना शुरू किया. शुरुआत छोटी थी, पर आज उनकी आवाज़ देशभर में गूंज रही है.

गीता बाई पराशर नामक ब्राह्मण महिला ने उन्हें प्रेरित कर इंदौर भेजा, जहां से उन्होंने श्री विठलेश राय काका से दीक्षा ली और पुराणों का गहन अध्ययन किया. उन्होंने सबसे पहले शिव मंदिर की सफाई करते हुए कथा शुरू की, फिर सीहोर में अपना पहला मंच संभाला.

उन्होंने शिव पुराण को सिर्फ पढ़ा नहीं, बल्कि ऐसा जी लिया ऐसा लगता है. उनके प्रवचन में ज्ञान भी है और समाधान भी. चाहे जीवन में दुख हो, पैसा न हो, शादी की बात हो या संतान की चिंता, प्रदीप मिश्रा हर बात का हल भोलेनाथ की भक्ति से जोड़कर बताते हैं. महिलाओं में उनका खास क्रेज है.

वहीं, प्रदीप मिश्रा द्वारा सीहोर में बनाया कुबेरेश्वर धाम आज भक्तों के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है. यहां हर साल सावन में और खास मौकों पर लाखों की भीड़ जुटती है. कई बार तो इतनी भीड़ होती है कि प्रशासन को व्यवस्था संभालना मुश्किल हो जाता है, लेकिन लोगों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आती.

उनकी कथाएं सिर्फ पंडाल में नहीं, मोबाइल और टीवी स्क्रीन पर भी देखी जाती हैं. यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उनके वीडियो करोड़ों बार देखे जा चुके हैं। लोग सुबह उठकर उनकी वाणी सुनते हैं और दिन की शुरुआत “रघुराम” से करते हैं. जब उनकी कथा शुरू होती है तो महिलाएं खाना पीना तक भूल जाती है.

हालांकि, प्रदीप मिश्रा अपने कुछ बयानो को लेकर अक्सर विवादों में भी थे है. राधा रानी और अन्य विषयों पर उनके कहे गए शब्दों को लेकर संत समाज में नाराजगी हुई. लेकिन उन्होंने माफी भी मांगी और आगे से बोलने में सावधानी बरती. लोग आज भी अनपर अटूट भरोसा करते है. उनके कहे शब्दों को पत्थर की लकीर मान लेते है.

क्योंकि प्रदीप मिश्रा लोगों को ये नहीं कहते कि सिर्फ पूजा करो. वो सिखाते हैं कैसे जियो, कैसे दुखों का सामना करो, कैसे भक्ति में सुकून पाओ. उनकी बातें दिल से निकलती हैं, और सीधा दिल में उतरती हैं. वो हमें बताते हैं कि भक्ति कोई दिखावा नहीं, वो तरीका है जो अच्छा इंसान बनने का मौका देती है.
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