क्या होती है वाइकिंग डाइट, 8वीं सदी का यह भोजन क्यों है चर्चा में, सेहत को क्या है इससे फायदा, जानें

Viking Diet Pros and Cons: मध्यकालीन उत्तरी यूरोप में योद्धाओं की फोज हुआ करती थी. उन्हीं में से जो तेज योद्धा होते थे, उन्हें वाइकिंग कहा जाता था. ये योद्धा समंदर को चीर कर दूर-दूर देश तक जाते थे और अन्य देशों पर कब्जा करते थे. 8वीं से 11वीं सदी के बीच इन योद्धाओं का खूब बोलबाला है. आजकल इन्ही योद्धाओं के नाम पर वाइकिंग डाइट की बेहद चर्चा हो रही है. वाइकिंग डाइट को नॉर्डिक डाइट भी कहा जाता है. मुख्य रूप से यह स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, नोर्वे और आइसलैंड में मध्यकाल के दौरान जो भोजन था, उसे ही वाइकिंग डाइट कहा जाता है. आइए पहले जानते हैं कि वाइकिंग डाइट होती क्या है.

क्या होती है वाइकिंग डाइट
इकोनोमिक टाइम्स में के मुताबिक फूड ब्लॉगर और डायटीशियन लॉरेन हैरिस-पिंकस ने फॉक्स न्यूज को वाइकिंग डाइट के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि वाइकिंग्स का भोजन उनके भौगोलिक स्थान, जलवायु और जीवन-रक्षा की जरूरतों से तय होता था. हैरिस-पिंकस बताती हैं कि उनका खानपान स्वच्छ और टिकाऊ खाद्य पदार्थों पर आधारित था. यानी डाइट में ऐसी चीजें होती थी जो ज्यादा दिन तक चल सके और हाइजेनिक भी रह सके. यह आधुनिक वेलनेस ट्रेंड जैसे मेडिटेरेनियन डाइट से मेल खाता है लेकिन इसमें एनिमल आधारित खाद्य पदार्थों पर अधिक जोर था.इसलिए इस डाइट को फॉलो करने से इसके नफा-नुकसान के बारे में भी जानना जरूरी है.
वाइकिंग डाइट में क्या-क्या
सब्जियां: प्याज, लहसुन, पत्ता गोभी, गाजर, लीक, शलजम, पार्सनिप.
मेवे और फल: अखरोट, हेज़लनट, बिलबेरी, रसभरी, जंगली सेब, आलूबुखारा.
मांस और समुद्री भोजन: मवेशी, सूअर, भेड़, बत्तख, हंस, सालमन मछली, मैकेरल, हेरिंग और यहां तक कि व्हेल या सील का मांस भी.
अनाज और डेयरी उत्पाद: राई, जौ, जई, कुट्टू, दूध, मक्खन, पनीर आदि.
अन्य चीजें: अंडे, नमक, मसाले, और बीयर व मीड जैसे पेय पदार्थ. बीयर और मीड कभी-कभी बच्चों को भी पिलाए जाते थे क्योंकि तब साफ पानी का अभाव था.



क्या इससे फायदा होता है

इस डाइट में रेड मीट का भी सेवन है. इसलिए हैरिस-पिंकस इसे पूरी तरह अपनाने से सावधान करती हैं. वह कहती हैं कि आज के माहौल में वाइकिंग डाइट को बिल्कुल उसी तरह अपनाना न तो जरूरी है न समझदारी और न ही यह व्यावहारिक है. क्योंकि इसके नुकसान कहीं ज्यादा है. उनका कहना है कि वाइकिंग योद्धा कठोर सर्दियों से बचने के लिए वसायुक्त मांस पर निर्भर रहते थे लेकिन आधुनिक जीवनशैली में इतनी अधिक वसा की जरूरत नहीं होती है. ज्यादा संतृप्त वसा हृदय रोग का खतरा बढ़ाती है. इसमें अत्यधिक सोडियम होता था. उस समय भोजन को नमक से सुरक्षित रखना जरूरी था, लेकिन आज यह हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है. उनलोगों की शराब पर निर्भरता ज्यादा थी. तब मीड और बीयर रोज़मर्रा का हिस्सा थे, लेकिन अधिक शराब पीना आज लिवर को खराब करना है.

वाइकिंग डाइट से क्या ले सकते हैं.
हैरिस-पिंकस सुझाव देती हैं कि वाइकिंग डाइट से प्रेरणा लें सकते हैं. उनके वसायुक्त भोजन और शराब को निकाल दें तो वाइकिंग डाइट भी फायदेमंद हो सकता है. इसका मतलब है कि सब्जियों, फलों, मेवों और साबुत अनाज पर जोर दें. ज्यादा चीनी, वसा और सोडियम वाले अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को सीमित कर दें. रेड मीट को कम करें और कुछ पशु वसा की जगह पौधों से प्राप्त वसा का इस्तेमाल करें. घर पर खाना बनाएं ताकि सामग्री और परोसे जाने वाले हिस्से पर नियंत्रण रहे. उन्होंने कहा कि आपकी डाइट का मुख्य जोर इस बात पर होनी चाहिए कि इसमें ज्यादा से ज्यादा फाइबर हो, प्रोटीन हो और भरपूर कार्बोहाइड्रेट हो. इसके लिए प्रोसेस्ड नहीं कुदरती चीजें खाएं. साबुत अनाज, सब्जी आदि को घर में बनाकर खाएं.

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