न्यूयॉर्क में इस जानलेवा बीमारी से दहशत, चपेट में आए सैकड़ो लोग, आखिर क्या है यह बला?

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NYC Legionnaires’ Outbreak: अमेरिका के न्यूयॉर्क में लीजियोनेयर्स डिजीज का कहर देखने को मिल रहा है. इस बीमारी की चपेट में आकर 3 लोगों की मौत हो गई है और करीब 70 लोग संक्रमित हैं. चलिए जानते हैं कि आखिर यह क्या …और पढ़ें

लीजियोनेयर्स डिजीज के केस न्यूयॉर्क में तेजी से बढ़ रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • लीजियोनेयर्स डिजीज से न्यूयॉर्क में 3 लोगों की मौत.
  • इस बीमारी से अब तक 67 लोग संक्रमित हो चुके हैं.
  • लीजियोनेला बैक्टीरिया दूषित पानी से फैल जाता है.
All About Legionnaires Disease: अमेरिका के सबसे फेमस शहर न्यूयॉर्क में इन दिनों एक बीमारी से हड़कंप मचा हुआ है. न्यूयॉर्क सिटी में लीजियोनेयर्स डिजीज (Legionnaires’ Disease) का प्रकोप देखने को मिल रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक इस बीमारी की चपेट में आकर 3 लोगों की मौत हो चुकी है और 67 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इस बीमारी ने अमेरिका में डर का माहौल पैदा कर दिया है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो यह लीजियोनेयर्स डिजीज एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जिसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है. इससे सीवियर निमोनिया जैसी कंडीशन पैदा हो जाती है. न्यूयॉर्क का हेल्थ डिपार्टमेंट इस बीमारी के सोर्स का पता लगाने और संक्रमण को रोकने में जुटा हुआ है.

मायो क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक लीजियोनेयर्स डिजीज एक गंभीर फेफड़ों का इंफेक्शन है, जिसे निमोनिया भी कहा जा सकता है. फेफड़ों का यह इंफेक्शन लीजियोनेला (Legionella) नामक बैक्टीरिया से फैलता है. यह बैक्टीरिया पानी में पनपता है. जब दूषित पानी छोटे-छोटे ड्रॉपलेट्स में बदलकर हवा में उड़ता है और कोई व्यक्ति इन्हें सांस के जरिए अंदर लेता है, तब वह संक्रमित हो सकता है. लीजियोनेला बैक्टीरिया इंसान से इंसानों में नहीं फैलता, बल्कि यह दूषित पानी के कणों के संपर्क में आने से फैलता है. संक्रमित व्यक्ति के आसपास रहने से दूसरों को कोई खतरा नहीं होता, लेकिन अगर कोई व्यक्ति ऐसे वातावरण में सांस लेता है जहां बैक्टीरिया वाले पानी की धुंध या भाप मौजूद हो, तो उसे संक्रमण हो सकता है. बड़ी इमारतों के एयर कंडीशनिंग सिस्टम, फव्वारे या पुरानी प्लंबिंग इसका सोर्स हो सकते हैं.

लीजियोनेयर्स डिजीज के क्या लक्षण हैं?

लीजियोनेयर्स डिजीज के लक्षण फ्लू या सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे शुरू हो सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह गंभीर रूप ले लेता है. इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकावट शामिल हैं. कुछ मामलों में दस्त, मतली और कंफ्यूजन भी देखा गया है. यह बीमारी बुजुर्गों, धूम्रपान करने वालों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में ज्यादा गंभीर हो सकती है.

इस बीमारी का इलाज क्या है?

लीजियोनेयर्स बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है. अगर समय पर पहचान हो जाए, तो इलाज से लोगों की जान बच सकती है. हालांकि देर से पहचान होने पर यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है. जिन लोगों की कंडीशन गंभीर हो जाती है, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत भी पड़ सकती है. बुजुर्ग, अस्थमा या अन्य फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को इसका ज्यादा खतरा होता है और उनमें मौत का जोखिम भी अधिक है.

इस बीमारी से बचाव कैसे करें?

इस बीमारी से बचने के लिए साफ-सफाई और पानी की टंकियों, एयर कूलिंग सिस्टम्स और हॉट टब्स की नियमित सफाई बेहद जरूरी है. पब्लिक बिल्डिंग्स और अस्पतालों में पानी के स्रोतों की समय-समय पर जांच होनी चाहिए. सामान्य व्यक्ति को यह सलाह दी जाती है कि वे ऐसे स्थानों से दूर रहें जहां गर्म पानी की भाप या फव्वारे हों. अमेरिका में इस बीमारी को लेकर सख्त हेल्थ गाइडलाइंस लागू की जा रही हैं. US के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ कि रिपोर्ट बताती है कि भारत में लीजियोनेयर्स डिजीज के अब तक केवल कुछ ही मामले सामने आए हैं.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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