नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत ने News18 को बताया कि डेंगू एक वायरल इंफेक्शन है, जो एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है. दूसरी तरफ वायरल फीवर सामान्य वायरस जैसे राइनोवायरस, इंफ्लुएंजा वायरस के कारण होता है. यह एक से दूसरे इंसान में छींकने, खांसने या संक्रमित सतहों को छूने से फैल सकता है. दोनों ही वायरल इंफेक्शन है, लेकिन अलग-अलग वायरस से फैलते हैं. वायरल के मुकाबले डेंगू वायरस ज्यादा खतरनाक होता है. डेंगू का सही समय पर इलाज कराना चाहिए, वरना यह जानलेवा भी बन सकता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक डेंगू का एक बड़ा संकेत स्किन पर रैशेज है, जबकि वायरल फीवर में ऐसे लक्षण आमतौर पर नहीं दिखते हैं. अगर किसी को बुखार के साथ स्किन पर लाल चकत्ते दिखें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. डेंगू की पुष्टि के लिए NS1 एंटीजन टेस्ट, डेंगू एंटीबॉडी टेस्ट और प्लेटलेट काउंट टेस्ट कराया जाता है. डेंगू में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरते हैं. जबकि वायरल फीवर में ऐसी कोई विशेष ब्लड रिपोर्ट में गिरावट नहीं देखी जाती है. वायरल संक्रमण में व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) में हल्का उतार-चढ़ाव हो सकता है.
डॉक्टर के अनुसार डेंगू के लिए कोई खास एंटीवायरल दवा नहीं है. इसका इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है. वायरल फीवर में भी सिंपल पैरासिटामोल दवा दी जाती है. वायरल की रिकवरी आमतौर पर जल्दी होती है. डेंगू में कभी-कभी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है. अगर किसी को तेज बुखार के साथ उल्टी, पेट में दर्द, कमजोरी, ब्लीडिंग या शरीर पर चकत्ते नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. डेंगू में समय पर पहचान और इलाज जरूरी है, नहीं तो यह गंभीर रूप ले सकता है. वायरल फीवर अगर 3-4 दिन से ज्यादा बना रहे, तो उसकी भी जांच कराना जरूरी है.