What is Fafo Parenting: कभी-कभी सबसे बड़ी सीख़ें तब मिलती हैं जब हम चोट से बचाने की बजाय बच्चों को गिरने देते हैं, ताकि वे खुद उठना सीखें. यही विचारधारा अब पेरेंटिंग की दुनिया में एक नया नाम लेकर उभरी है. आसान शब्दों में कहें तो यह वह तरीका है जहां माता-पिता बार-बार टोकने की बजाए बच्चे को उसके किए का नतीजा देखने देते हैं.
फाफो पेरेंटिंग क्या है?
FAFO का मतलब है बच्चे को चेतावनी दें, दिशानिर्देश दें, पर जब उसने तय किया तो उसे उसके फैसले के स्वाभाविक परिणाम का अनुभव करने दें. बशर्ते उससे शारीरिक या भावनात्मक सुरक्षा खतरे में न पड़े. कुल मिलाकर निगरानी रखें, लेकिन हर काम खुद से करने दे, यानी आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें.
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क्यों यह तेजी से पॉपुलर हो रहा है?
कई माता-पिता महसूस करते हैं कि ‘जेंटल पेरेंटिंग’ के चलते बच्चे अक्सर असफलताओं का सामना न कर पाने लगते हैं. FAFO इस कमी के दूर करती है. सोशल मीडिया पर इसका अनुभव और उदाहरण वायरल हो रहा है. खासकर उन परिवारों में जहां बच्चे को निर्णय करने और गलती करने का मौका देकर उन्हें जिम्मेदार बनाना चाहते हैं. इसके समर्थक मानते हैं कि यह आत्मनिर्भरता, जोखिम और वास्तविक दुनिया की तैयारी करवाई जा सकती है.
बच्चे क्या सीखते हैं?
FAFO अपनाने पर बच्चे अक्सर छोटे जोखिम लेकर सीखते हैं. निर्णय-लेना, नतीजे झेलना और अगली बार बेहतर फैसला लेना. समर्थक कहते हैं कि इससे बच्चे में आत्म-विश्वास, समस्या सुलझाने की क्षमता और व्यवहारिक समझ बढ़ सकती है. बशर्ते माता-पिता दिशा-निर्देश और सीमाएं स्पष्ट रखें.
कैसे अपनाएं संतुलित FAFO टिप्स
- पहले बातचीत और चेतावनी दें, फिर नतीजे होने दें, पर सुरक्षा सुनिश्चित करें
- छोटे-छोटे, कम-खतरनाक अनुभवों से शुरुआत करें
- भावनात्मक सपोर्ट देना बंद न करें, ‘टफ लव’ का मतलब इमोशनल छूट नहीं होता
- लगातार निगरानी और सीमाएं रखें, जब जरूरी हो तब हस्तक्षेप करें.
फाफो पेरेंटिंग बच्चों को असफलता से सीखने और जिम्मेदार बनने का मौका देती है, लेकिन यह अंधाधुंध नहीं, सोच-समझकर और सुरक्षा की सीमाओं के साथ अपनाई जानी चाहिए. सही बैलेंस ही इसे असरदार और सुरक्षित बनाता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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