उद्योग की आरी के सामने डटे गांव वाले, एनओसी कैंसिल और 1000 पेड़ों की वापसी

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Balaghat Ajab Gajab News: मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के सालेटेका गांव में 35 एकड़ जमीन से सागौन और नीम सहित हजारों पेड़ काटे गए थे. ग्रामीणों के विरोध के बाद उष्णा प्लांट की एनओसी रद्द कर दी गई और अब यहां एक हज…और पढ़ें

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के सालेटेका गांव में जून के पहले सप्ताह में 35 एकड़ जंगल उजाड़ने का मामला सामने आया था. आरोप था कि छत्तीसगढ़ की एक निजी कंपनी को उष्णा प्लांट लगाने के लिए जमीन आवंटित की गई, जिसके लिए गांव की सरपंच ने बिना ग्रामीणों की सहमति के एनओसी जारी कर दी थी.

इस जमीन पर सागौन, पलाश, नीम और बबूल जैसे मूल्यवान पेड़ काट दिए गए. ग्रामीण तब और चौंक गए जब पेड़ों के अवशेष गांव में मुफ्त बांटे गए और प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया.

कंपनी को लगी रोक, एनओसी रद्द

उष्णा प्लांट लगाने की मंजूरी श्री गुरुदेव राइस इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड को मिली थी. लेकिन ग्रामीणों ने विरोध किया कि इससे न सिर्फ पर्यावरण बल्कि जलस्तर भी प्रभावित होगा. बढ़ते विरोध के बाद ग्राम सभा ने 20 जून 2025 को एनओसी रद्द कर दी. कंपनी ने भी काम बंद कर अपना सामान समेटना शुरू कर दिया.

पेड़ों की जगह लगाए गए नए पौधे

सामाजिक कार्यकर्ता निशांत बिसेन ने बताया कि ग्रामीणों ने काटे गए पेड़ों की जगह आम, जामुन और अन्य प्रजातियों के एक हजार पौधे लगाए हैं. ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि वे इन पौधों की देखभाल कर इन्हें बड़ा करेंगे. उनका कहना है कि पंचायत की जमीन बिना सरकारी अनुमति किसी निजी कंपनी को नहीं दी जा सकती.

लड़ाई अब भी जारी है

ग्रामीण सुरेंद्र डोंगरे कहते हैं कि गांव में इंडस्ट्री नहीं लगने देंगे. मामला अभी कोर्ट में है और हम आखिरी सांस तक अपने जंगल और जमीन को बचाने के लिए लड़ते रहेंगे.”

अनुत्तरित सवाल

भले ही एनओसी रद्द कर दी गई हो, लेकिन कई सवाल अब भी जवाब मांग रहे हैं. पेड़ रात के अंधेरे में क्यों काटे गए? कंपनी ने पर्यावरणीय क्षति की भरपाई कैसे की? प्रशासन ने क्या कार्रवाई की? साथ ही, ग्रामीणों का आरोप है कि पास के चिखला गांव में भी करीब 3 एकड़ जमीन से पेड़ काटे गए.

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