केंद्र को भरोसा, गैर-भाजपा राज्य प्रस्ताव का विरोध नहीं करेंगे: जीएसटी 2.0 से छोटी कारें सस्ती होंगी, लग्जरी गाड़ियां महंगी; सोना-चांदी पर टैक्स में बदलाव नहीं

नई दिल्ली1 घंटे पहले

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सरकार का मानना है कि छोटी कारें और एंट्री-लेवल बाइक लग्जरी आइटम नहीं हैं। इसलिए इन पर कम टैक्स होना चाहिए। (फाइल फोटो)

देश में जीएसटी 2.0 यानी नेक्स्ट जेन जीएसटी की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। केंद्र सरकार ने जीएसटी सुधारों का मसौदा राज्यों को भेज दिया है। उम्मीद है कि सभी राज्य इसमें सहयोग करेंगे, ताकि इसे दिवाली से पहले लागू किया जा सके। केंद्र का दावा है कि जीएसटी सुधारों से गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के साथ छोटे-बड़े कारोबारियों को भी राहत मिलेगी।

नए प्रस्ताव के अनुसार, छोटी कारें होंगी सस्ती हो सकती हैं, जबकि लग्जरी गाड़ियां और महंगी हो सकती हैं। सरकार का मानना है कि छोटी कारें और एंट्री-लेवल बाइक लग्जरी आइटम नहीं हैं। इसलिए इन पर कम टैक्स होना चाहिए।

टैक्स घटने से छोटी कारों और सस्ती बाइकों की बिक्री में तेजी आ सकती है, जो फिलहाल प्रीमियम मॉडल्स की बढ़ती मांग के कारण दबाव में हैं। लग्जरी कार और बाइक को 40% के विशेष टैक्स स्लैब में रखा जा सकता है। इसी तरह, सोना-चांदी पर पहले की तरह 3% और हीरे पर 0.25% लागू रहेगा।

जीएसटी 2.0 पर ढाई साल से काम कर रही वित्त मंत्री और उनकी टीम जीएसटी 2.0 की प्रस्तावित बदलावों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम पिछले ढाई साल से काम कर रही है। उनका लक्ष्य एक ऐसी व्यवस्था बनाना है जो न केवल सरल हो बल्कि टैक्स चोरी और फर्जीवाड़े पर भी रोक लगा सके। अब जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इस पर चर्चा होगी।

केंद्र सरकार ने यह प्रस्ताव पहले ही मंत्री समूह को भेज दिया है। समूह अपनी सिफारिशें जीएसटी काउंसिल को सौंपेगा। काउंसिल की अगली बैठक में इन पर चर्चा होगी और वही अंतिम निर्णय लेगी। सरकार को भरोसा है कि इस बार गैर भाजपा शासित राज्यों से भी विरोध नहीं होगा, क्योंकि इस प्रस्ताव में गरीब, किसान और मध्यम वर्ग को सीधी राहत दी गई है।

अक्टूबर-नवंबर से खत्म हो सकता है सेस सरकार अक्टूबर-नवंबर से सेस समाप्त करने की तैयारी में है। इसके अलावा स्वास्थ्य और कृषि बीमा को 0 से 5% जीएसटी स्लैब में लाने का प्रस्ताव भी है। सरकार का जोर है कि दरों में कमी का लाभ सीधे आम उपभोक्ता तक पहुंचे। इस बड़े सुधार का मकसद न केवल उपभोक्ताओं को राहत देना है, बल्कि घरेलू खपत को बढ़ावा देना और वैश्विक टैरिफ खतरों के बीच अर्थव्यवस्था को मजबूती देना भी है।

इस व्यवस्था को भविष्य में सिंगल स्लैब जीएसटी की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, कम टैक्स का सीधा मतलब है लोगों की जेब में ज्यादा पैसा। इससे खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, नई संरचना इस तरह तैयार की गई है कि आगे बार-बार दरों में बदलाव की मांग न उठे और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की समस्या भी खत्म हो।

शैल कंपनियों पर रोक, क्योंकि इसी साल 1 हजार करोड़ का फर्जी क्लेम पकड़ा इस सुधार से केवल आम उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि कर प्रणाली भी पारदर्शी होगी। अब तक टैक्स दरों में असंतुलन के कारण हजारों शैल कंपनियां खड़ी हो गई थीं। ये कंपनियां इनपुट और आउटपुट टैक्स रेट के अंतर का फायदा उठाकर फर्जी टैक्स क्रेडिट क्लेम करती थीं। नई व्यवस्था में दरों का संतुलन होने से यह फर्जीवाड़ा संभव नहीं रहेगा। इसी साल शैल कंपनियों के जरिए 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का फर्जी क्लेम पकड़ा गया है। सरकार को उम्मीद है कि यह पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

सरकार का दावा, खपत बढ़ेगी तो घाटा घटेगा

  • नए प्रस्ताव के अनुसार ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं को दो स्लैब में रखा जाएगा। अभी 4 स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% हैं। सुधार के बाद दो स्लैब 5% और 18% ही रहेंगे। इससे 12% जीएसटी के दायरे में आने वाली मक्खन, फ्रूट जूस, ड्राय फ्रूट्स जैसी 99% वस्तुएं 5% के दायरे में आ जाएंगी।
  • 28% टैक्स के दायरे में आने वाली सीमेंट, एसी, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसी 90% वस्तुएं 18% के स्लैब में आ जाएंगी। हालांकि, लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं (जैसे तंबाकू, गुटखा, पान मसाला और ऑनलाइन गेमिंग) पर 40% का विशेष स्लैब रहेगा।
  • सरकार का अनुमान है कि टैक्स दरें घटने से आम वस्तुओं की खपत बढ़ेगी। उपभोक्ता ज्यादा खरीदारी करेंगे तो बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा। इससे उद्योगों को भी बल मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। आत्मनिर्भर भारत अभियान से जुड़े सेक्टरों को विशेष रूप से फायदा होगा। सरकार का कहना है कि इन दोनों कारणों से घाटा पूरा हो जाएगा और इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ेगी।

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