Trump Policy: भारतीय स्टूडेंट्स के लिए आसान नहीं अमेरिका में पढ़ना, अब ये देश बन रहे पढ़ाई के नए ठिकाने!

Trump Policy, US Visa Rules 2025:अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ व नई पॉलिसी ने भारतीय स्टूडेंट्स को चिंता में डाल दिया है.डोनाल्ड ट्रंप की नई पॉलिसी और टैरिफ की वजह से यूएस में पढ़ाई अब पहले जितनी आसान नहीं रही. खर्चा बढ़ गया.वीजा प्रक्रिया पेचीदा हो गई.कई स्टूडेंट्स परेशान हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि ब्रिटेन,हांगकांग और एशिया के कई देश इस मौके को भुनाने के लिए तैयार हैं. आइए जानते हैं कि ये बदलाव स्टूडेंट्स को कैसे प्रभावित कर रहा है और आप पढ़ने के लिए कहां जा सकते हैं?

Trump Policy Indian Students: ट्रंप की पॉलिसी से स्टूडेंट्स की मुश्किलें बढ़ीं

ट्रंप ने 4 जुलाई 2025 को ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’साइन किया,जिसमें F, M और J वीजा (जो स्टूडेंट्स के लिए हैं)पर नई फीस लगा दी गई.अब हर स्टूडेंट को 250 USD करीब 21,463 रुपये का ‘विजा इंटीग्रिटी फी’और 24 USD करीब 2,060 रुपये का फॉर्म I-94 फी देना होगा.ये दोनों अनिवार्य हैं. ऊपर से वीजा अप्लाई करने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट्स को पब्लिक करना पड़ रहा है और उनकी सख्त जांच हो रही है. अगर कोई प्रदर्शन में हिस्सा लिया या नियम तोड़ा तो वीजा रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है.

US Visa Rules 2025: स्टूडेंट वीजा को लेकर बड़ा बदलाव

एक और बड़ा बदलाव ये है कि स्टूडेंट वीजा की वैधता अब फिक्स टाइम 2-4 साल तक सीमित करने की तैयारी है.पहले स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई पूरी होने तक रह सकते थे,लेकिन अब समय खत्म होने पर एक्सटेंशन के लिए नई दौड़ लगानी होगी.वीजा इंटरव्यू का इंतजार भी लंबा हो गया है.लंदन से आई रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में वीजा इंटरव्यू की देरी से कई स्टूडेंट्स हार मान चुके हैं और हांगकांग की यूनिवर्सिटीज अमेरिकी स्टूडेंट्स के ट्रांसफर रिक्वेस्ट से भरी पड़ी हैं.

Indian Students USA Impact: अमेरिका को झटका, स्टूडेंट्स का रुख बदला

ट्रंप प्रशासन ने विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या कम करने का दबाव बढ़ाया है.कुछ स्टूडेंट्स को राजनीतिक गतिविधियों के लिए वीजा रद्द कर देश छोड़ने का आदेश दिया गया और वीजा अपॉइंटमेंट्स तक अस्थायी रूप से रोक दिए गए.NAFSA के मुताबिक इस फॉल में अमेरिका में विदेशी स्टूडेंट्स की एडमिशन 30-40% तक गिर सकती है जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 7 बिलियन डॉलर करीब 61,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.विदेशी फीस पर निर्भर कॉलेज और यूनिवर्सिटीज भी परेशानी में हैं.भारतीय स्टूडेंट्स अमेरिका को टॉप डेस्टिनेशन मानते थे अब दूसरी जगहों की तलाश में हैं.

Study Abroad Alternatives: कहां जा सकते हैं स्टूडेंट्स?

अमेरिका की इस उथल-पुथल का फायदा दूसरे देश उठा रहे हैं.अब स्टूडेंट्स चीन समेत अन्‍य देशों में बेहतर ऑप्शंस तलाश रहे हैं.
ब्रिटेन: यह देश अब दूसरा सबसे पसंदीदा देश बन गया है.यहां चीनी स्टूडेंट्स की संख्या 10% बढ़ी है और अमेरिकी स्टूडेंट्स की तादाद पिछले 20 सालों में सबसे ज्यादा है. बिजनेस और मैनेजमेंट कोर्सेज की डिमांड तेज है.अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए इंटरनेशनल एप्‍लिकेशन की संख्‍या बढ़ी है.

एशिया का बढ़ता प्रभाव: हांगकांग,सिंगापुर और मलेशिया में वेस्टर्न यूनिवर्सिटीज के कैंपस हैं जहां फीस कम है.हांगकांग तो ये ऑफर दे रहा है कि अगर अमेरिका में वीजा नहीं मिला तो वहां शिफ्ट हो जाओ.कोविड के बाद से एशिया में पढ़ाई का ट्रेंड चल रहा था जो अब और तेज हो गया है.

नए हब: यूएई (दुबई) और कजाकिस्तान भी पीछे नहीं हैं. दुबई में पिछले साल विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या 33% बढ़ी और वहां टॉप यूनिवर्सिटीज के सैटेलाइट कैंपस हैं. कजाकिस्तान में इलिनोइस टेक और एरिजोना यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम्स शुरू हो गए जहां चीनी और रशियन स्टूडेंट्स जा रहे हैं.

UK Study for Indian Students: आगे क्या होगा?

ट्रंप की सख्त पॉलिसी से अमेरिका को नुकसान हो रहा है जबकि ब्रिटेन और एशिया के देशों को फायदा मिल रहा है. अगर ये नीतियां जारी रहीं तो एशिया हायर एजुकेशन का नया केंद्र बन सकता है. भारतीय स्टूडेंट्स के लिए ये चुनौती भी है और मौका भी.

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