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Trekking In Mountains : हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों में ट्रैकिंग का रोमांच बेमिसाल है, लेकिन बिना तैयारी के यह सफर खतरनाक साबित हो सकता है. सही गियर, मौसम की जानकारी और फिटनेस के बिना ट्रैक पर निकलना रिस्क भरा कदम सा…और पढ़ें
हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो बहुत ही दुर्गम हैं. यहां सिर्फ प्रकृति प्रेमी और पैदल ट्रैक करने वाले लोग ही पहुंच पाते हैं. आम आदमी ने इन जगहों पर आज तक कदम नहीं रखा है क्योंकि यहां पहुंचने की परिस्थितियां इतनी कठिन हैं कि हर कोई इन चुनौतियों को पार नहीं कर पाता. मंडी जिले में भी कुछ ऐसे दुर्गम ट्रैक्स हैं जो ट्रैकर्स के मन को भाते हैं. कई बार ट्रैकर्स की टीम यहां ट्रैक करने के लिए पहुंचती है और उन जगहों को देखने की चाहत में होती है जहां कोई इंसान मौजूद नहीं होता, बल्कि कई खतरे सर पर मंडराते रहते हैं. मंडी जिले में देहनासर, हाथीमथा और कई ऐसे वाइल्ड ट्रैक्स हैं जिन्हें करने के लिए लोग अक्सर गर्मियों का इंतजार करते हैं और फिर यहां जाने के लिए तैयार होते हैं. यहां जाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है, जिसमें कई बार जंगली जानवरों का सामना भी ट्रैकर्स को हो जाता है.
अगर आप भी ऐसे ही दुर्गम क्षेत्र में ट्रैक करने जा रहे हैं तो सबसे पहले आपको यह ध्यान देना होगा कि आपके पास सारी जरूरी सामग्री होनी चाहिए. आपके खाने-पीने का सामान, इमरजेंसी मेडिसिन, पोर्टेबल स्टोव, टॉर्च, बरसाती और गर्म कपड़े आपके पास होने चाहिए. इन दुर्गम ट्रैक्स में कभी भी किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए पहले से ही तैयारी रखें.
पहाड़ी रास्तों पर खतरा भी कम नहीं
दूर से शांत और खूबसूरत दिख रही इन वादियों में कई खतरे छुपे रहते हैं. खासकर जंगली जानवरों का यहां सबसे ज्यादा खतरा रहता है. यहां पर भालू और तेंदुए पाए जाते हैं और कई बार इतनी ऊंचाई पर बर्फ के बड़े-बड़े गोले भी गिरते हैं, जिसमें ट्रैकर्स की मौत हो जाती है. यही नहीं, इतनी ऊंचाई पर कई प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं और कई बार लोग इनका सेवन कर लेते हैं और यह जहरीली निकलती हैं जिससे तबीयत खराब हो जाती है.
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