आज हरियाली अमावस्या: भगवान शिव और देवी पार्वती का करें अभिषेक, किसी मंदिर में लगाएं छायादार पेड़ का पौधा, पितरों के लिए करें धूप-ध्यान

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4 घंटे पहले

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आज (24 जुलाई) हरियाली अमावस्या है। ये पर्व धर्म के साथ ही पर्यावरण के नजरिए से भी बहुत खास है। सावन महीने में वर्षा ऋतु चरम पर होती है और इस वजह से अमावस्या पर चारों ओर हरियाली छा जाती है, इस कारण सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस बार ये पर्व सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगा। इस योग में किए गए शुभ काम जल्दी सिद्ध होते हैं, ऐसी मान्यता है।

सावन महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस महीने की अमावस्या शिव पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। अमावस्या पर आधा महीना खत्म हो जाता है और इसके बाद शुक्ल पक्ष शुरू होता है। ये तिथि पितरों को तर्पण और पिंडदान करने का भी श्रेष्ठ अवसर है।

हरियाली अमावस्या दो शब्दों से मिलकर बना है- हरियाली यानी हरापन, प्रकृति, और अमावस्या, यानी चंद्रमा का शून्य अवस्था में होना। सावन मास में जब धरती हरियाली से ढंक जाती है, तब ये अमावस्या प्रकृति के सौंदर्य का उत्सव बन जाती है। ये दिन वर्षा ऋतु के मध्य में आता है, जब किसान खेतों में फसलें बो चुके होते हैं और पेड़-पौधे नई जान पा चुके होते हैं। तुलसी, पीपल, बरगद, नीम, आम, बेल और आंवला जैसे छायादार और औषधीय वृक्ष लगाए जाते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सावन मास की अमावस्या पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विशेष अभिषेक करना चाहिए। ये पूजा पति-पत्नी एक साथ करेंगे तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है। शिव पूजा से जीवन में संतुलन और सौभाग्य प्राप्त होता है।

पितृ तर्पण के लिए श्रेष्ठ दिन है अमावस्या

अमावस्या को पितृ तर्पण के श्रेष्ठ दिन माना जाता है, क्योंकि इस तिथि के स्वामी पितृदेव ही माने गए हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दिन पितरों को जल तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

आज दोपहर घर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी चढ़ाएं। ऊँ पितृदेवेभ्यो नम: मंत्र जपें। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाएं। धूप-ध्यान करने के बाद गाय, कुत्ते और कौओं को रोटी खिलाएं।

छायादार पेड़ का पौधा लगाएं

  • हरियाली अमावस्या प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। इस दिन वृक्षों का पूजन करना चाहिए। पीपल, बरगद, आंवला जैसे वृक्षों की पूजा करें। किसी सार्वजनिक जगह पर छायादार पेड़ों के पौधे लगाएं और उनकी देखभाल करने का संकल्प लें।
  • जो लोग देवी लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, उन्हें तुलसी, आंवला और बिल्वपत्र के पौधे लगाने चाहिए।
  • अच्छी सेहत की कामना से नीम, पलाश, ब्राह्मी के पौधे लगाना चाहिए।
  • सौभाग्य की कामना से केला, पीपल, अशोक, वट (बरगद) और नागकेशर के पौधे लगा सकते हैं।

हरियाली अमावस्या पर क्या करें

  • हरियाली अमावस्या पर पीपल, नीम जैसे पेड़ों पर झूला बांधकर झूलने की भी परंपरा है।
  • इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
  • शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, शमी पत्र, आंकड़े के फूलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें। चंदन का लेप लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
  • पौधारोपण और वृक्षों का पूजन करें। पितृ तर्पण और दान-पुण्य करें। अन्न और वस्त्र दान करें।

हरियाली अमावस्या पर क्या न करें

आज वृक्षों की कटाई करने से बचें। मांस-मदिरा का सेवन न करें। आज संतुलित आहार लेना चाहिए। घर-परिवार में क्रोध, कलह से बचना चाहिए।

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