नीलगाय-सूअर से बचाने के लिए पेड़ लगाए, अब यही लाखों कमा कर दे रहे…गजब आइडिया

अमरेली जिले के दितला गांव में रहने वाले एक किसान हैं, उकाभाई. खेती में वो हमेशा कुछ नया आजमाने की सोच रखते हैं. पहले की तरह सिर्फ हल-बैल या सिंचाई तक सीमित नहीं रहते. जब नीलगाय और जंगली सूअरों ने उनकी फसलों का नुकसान करना शुरू किया, तो उन्होंने एक अलग ही तरीका अपनाया- खेत के चारों तरफ शरीफे (सीताफल) के पौधे लगा दिए.

जानवरों से परेशान होकर आया आइडिया
उकाभाई के पास करीब 2 एकड़ 16 गुंठा जमीन है. उन्होंने शुरुआत में खेत के चारों ओर तार लगवाई थी. लेकिन नीलगाय और सूअर किसी न किसी तरह से खेत में घुस ही जाते थे. मूंगफली और दूसरी फसलें ये जानवर खा जाते थे और सारा मेहनत बेकार हो जाती थी.

बार-बार नुकसान देखकर उकाभाई ने सोचा कि सिर्फ तार लगाना काफी नहीं. कुछ ऐसा करना होगा जो स्थायी हो और जिसमें बार-बार पैसे भी न लगें.

खेत के चारों ओर लगाए 2000 शरीफे के पौधे
तभी उनके दिमाग में आया शरीफे का पेड़ लगाने का विचार. उन्होंने पूरे खेत की मेड़ पर करीब 2,000 सीताफल के पौधे लगाए. ये काम उन्होंने 5 साल पहले शुरू किया था. आज वो सारे पौधे पेड़ बन चुके हैं. इन पेड़ों की ऊंचाई, मोटे पत्ते और कांटेदार डंडी इतनी घनी हो गई है कि अब कोई भी जंगली जानवर खेत में घुसने की हिम्मत नहीं करता.

सिर्फ सुरक्षा नहीं, कमाई भी होने लगी
उकाभाई की तरकीब ने ना सिर्फ फसल को जानवरों से बचाया, बल्कि अब इन पेड़ों से कमाई भी होने लगी है. इस साल पहली बार सीताफल की फसल आई है. उनके मुताबिक, एक पेड़ से करीब 5 से 10 किलो शरीफा मिल जाता है. बाजार में इसकी कीमत 200 से 300 रुपये किलो तक है. यानी एक पेड़ से सालाना 1000 से 2000 रुपये तक की कमाई मुमकिन है.

अभी पहले साल में ही उन्हें करीब 50,000 रुपये की आमदनी का अंदाजा है. आने वाले सालों में जब पेड़ और बड़े हो जाएंगे, तब ये कमाई बढ़कर 1 लाख रुपये तक पहुंच सकती है.

मजदूरों पर खर्च भी हो गया कम
सीताफल के पेड़ों ने एक तरह से खेत के चारों ओर एक “जिंदा दीवार” बना दी है. अब उकाभाई को खेत की रखवाली के लिए किसी आदमी या मजदूर को लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. इससे मेहनत भी बच रही है और पैसे भी.

दूसरे किसान भी सीख रहे ये तरीका
उकाभाई की ये तरकीब गांव में चर्चा का विषय बन चुकी है. आसपास के कई किसान अब उनकी देखादेखी ऐसा ही कुछ करने की सोच रहे हैं. कई लोग उनके खेत आकर ये व्यवस्था देखकर प्रेरणा ले रहे हैं. जब खेती में लागत ज्यादा और मुनाफा कम हो रहा है, ऐसे समय में उकाभाई जैसे किसान नई राह दिखा रहे हैं.

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