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Deoghar Flower Village: देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड का मलहरा गांव के 3000 परिवार फूलों की खेती करते हैं. बैद्यनाथ मंदिर से लेकर बासुकीनाथ मंदिर तक फूलों की सप्लाई होती है. सभी की आजीविका फूलों की खेती पर ही नि…और पढ़ें
है फूलों का गांव
यह गांव इसलिए भी खास है क्योंकि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के सुबह के श्रृंगार में उपयोग होने वाले फूल यहीं से भेजे जाते हैं. इतना ही नहीं, मंदिर परिसर में फूल बेचने वाले माली भी ज्यादातर इसी गांव के होते हैं. मोहनपुर प्रखंड में स्थित इस गांव में लगभग 3,000 लोग रहते हैं. सभी की आजीविका फूलों की खेती पर ही निर्भर करती है. इसीलिए, देवघर और आसपास के लोग इसे ‘फूलों का गांव’ कहते हैं.
मल्हारा गांव के किसान रामदेव राउत बताते हैं कि वे सिर्फ पूजा के लिए फूल ही नहीं, बल्कि गुलदस्ते और सजावट में इस्तेमाल होने वाले फूल भी उगाते हैं. यहां उगाए गए फूलों की सबसे ज्यादा मांग बैद्यनाथ मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर में होती है. इसके अलावा, शादी-ब्याह के सीजन में भी फूलों की अच्छी खासी डिमांड रहती है.
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
किसान अनिल रावत बताते हैं कि फूलों की सबसे ज्यादा बिक्री सावन के महीने में होती है,क्योंकि इस दौरान देश-विदेश से भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इसके अलावा, उन्हें शादी-ब्याह के सीजन का भी बेसब्री से इंतजार रहता है. ग्लैडियोलस और जरबेरा जैसे फूलों की शादियों में अच्छी कीमत मिलती है. एक एकड़ में फूलों की खेती करने में 20 से 25 हजार रुपये का खर्च आता है. एक ही सीजन में किसान 50 से 60 हजार रुपये तक कमा लेते हैं. इस तरह, मल्हारा गांव के किसान अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपनी जीविका चला रहे हैं, बल्कि देवघर की धार्मिक पहचान को भी और अधिक सुगंधित बना रहे हैं.
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें
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