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देहरादून. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती देने वाला सबसे खास दिन होता है, जिसका इंतजार सालभर रहता है. अगर इस पावन मौके पर भाई की कलाई पर बांधा जाने वाला रक्षा सूत्र कैमिकल फ्री हो और वह गौमाता के पवित्र गोबर से तैयार किया गया हो, तो यह न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल होगा, बल्कि त्योहार की पवित्रता और भी बढ़ा देगा.
रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल 8 अगस्त दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से सावन की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी जो 9 अगस्त 1 बजकर 24 मिनट को खत्म होगी. इसलिए इसी दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के बाजारों में रक्षाबंधन के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. यहां कई तरह की राखियां बेची जा रही हैं, जिनमें सिंपल धागों से लेकर कई डिजाइन में राखियां उपलब्ध हैं. इसके साथ ही बच्चों के लिए भी खास तरह की राखियां बेची जा रही हैं.

बाजार से खरीदी जाने वाली राखियां अक्सर केमिकल युक्त धागों से बनाई जाती हैं और इन्हें तैयार करने में उपयोग की जाने वाली सामग्री भी इको-फ्रेंडली नहीं होती, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है.

अगर आप इस रक्षाबंधन पर अपने भाई के हाथों पर केमिकल फ्री और पूरी तरह से पवित्र रक्षा सूत्र बांधना चाहती हैं, तो आप इसे घर पर ही बना सकती हैं. खास बात यह है कि आप इसे गौमाता के गोबर से तैयार कर सकती हैं, जो न केवल धार्मिक रूप से पवित्र माना जाता है बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद उपयोगी और सुरक्षित होता है.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की रहने वाली सुनीता ने बताया कि आप कई तरह से गौमाता के गोबर से राखी बना सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले गोबर को अच्छे से साफ करके थोड़ा सूखा लेना चाहिए. जब यह थोड़ा सूख जाए, तब इसे मनचाहे आकार में ढालकर उसमें हल्का पानी मिलाकर डिजाइन बनाई जा सकती है.

अब इसमें तुलसी के बीज, आम या पीपल के पत्ते भी डाल सकते हैं. चमेली का तेल मिलाकर इस मिश्रण को अच्छे से गूंथ लें. फिर इसे छोटे-छोटे सांचों में डालकर मनचाहा डिज़ाइन बना लें और सूखने के लिए रख दें. सूख जाने के बाद इन्हें रेशमी धागे पर चिपका दें. इस तरह एक प्राकृतिक, इको-फ्रेंडली और पवित्र राखी तैयार हो जाएगी.

सुनीता का कहना है कि गौमाता के गोबर का सही और सार्थक उपयोग होना चाहिए. उनका मानना है कि रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्योहार पर चाइनीज प्रोडक्ट की बजाय स्वदेशी और पारंपरिक चीजों को अपनाना चाहिए. सुनीता किशोरी कृपा सेवा ट्रस्ट से जुड़ी हुई हैं, जो निर्धन वर्ग के गौपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम करता है.
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