ये राखी सिर्फ धागा नहीं, भाई की ज़िंदगी में लाएगी बरकत और घर में तुलसी, जानें

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रक्षाबंधन के पावन पर्व पर सहारनपुर की आत्मनिर्भर मां शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला एक अनोखा नवाचार कर रही है. यहां गोबर से ऐसी राखी तैयार की जा रही है, जो सिर्फ भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक नहीं होगी, बल्कि पर्यावरण…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • गोबर से बनी राखी में तुलसी के बीज हैं.
  • राखी को मिट्टी में डालने पर तुलसी का पौधा उगेगा.
  • राखी का दाम मात्र 10 रुपए रखा गया है.
सहारनपुर. सहारनपुर की आत्मनिर्भर गौशाला जो कि समय-समय पर नितनये नवाचार करने के लिए जानी जाती है. इस गौशाला की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी निरीक्षण कर यहां पर बनने वाले प्रॉडक्ट्स की तारीफ कर चुके हैं. इस बार आत्मनिर्भर मां शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला में गोबर से एक अनोखी राखी तैयार की जा रही है जोकि भाई बहन के प्रेम के साथ-साथ मिट्टी में डालने पर तुलसी का पौधा भी देगी, जिससे हर घर तुलसी की पैदावार भी बढ़ेगी.

सहारनपुर की मां शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला उत्तर प्रदेश की नंबर वन आत्मनिर्भर गौशाला है, साथ ही, गोबर से बनाई जाने वाली राखी देशभर में ऑनलाइन भी सेल की जाएगी. जो कि लोगों को अमेजॉन पर आसानी से उपलब्ध हो जाएगी. फिलहाल इस वर्ष डेढ़ से 2000 गोबर से राखी बनाने का लक्ष्य रखा गया है और गोबर से राखी बनाने में तुलसी के बीज का भी इस्तेमाल किया है. जिससे कि राखी का पर्व खत्म होने के बाद जब इस राखी को मिट्टी में डाला जाएगा यह एक और जहां खाद का काम करेगी. वहीं, दूसरी ओर इससे तुलसी के पौधे भी जन्मेंगे. यानी की इस राखी का किसी भी प्रकार से कोई नुकसान नहीं है और इसका दाम भी मात्र 10 रुपए रखा गया है.

गोबर से तैयार की गई राखी 
पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉक्टर संदीप मिश्रा ने बताया कि जैसा कि आप जानते हैं, नगर निगम सहारनपुर की ओर से मां शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला के नाम से सावलपुर नवादा में एक गौशाला संचालित की जा रही है, जिसमें वर्तमान में कुल 588 गोवंश संरक्षित हैं. हमारी गौशाला नित नए नवाचारों के लिए जानी जाती है. इसी क्रम में हम रक्षाबंधन के पर्व पर इस बार गोबर से निर्मित राखियां बना रहे हैं, जो गाय के शुद्ध गोबर से तैयार की गई हैं.

ऐसे लगाए तुलसी
इन राखियों की खास बात यह है कि इनमें तुलसी के बीज डाले गए हैं. यानी जब आप राखी का उपयोग कर लें, उसके बाद इसे घर के गमले या मिट्टी में डाल दें. यह राखी जहां खाद का काम करेगी, वहीं तुलसी के पौधे भी उग आएंगे. उन्होंने कहा कि अगर हमारी राखी की तुलना चाइनीज राखियों से की जाए, तो हमारी राखी पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल है और इसमें किसी भी प्रकार के प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया गया है.

काफी सस्ती है ये राखी
साथ ही यह अन्य मार्केट में बिकने वाली राखियों के मुकाबले काफी सस्ती भी है. जहां दूसरी राखियां 100 रुपए तक बिक रही हैं, वहीं हमारी राखी मात्र 10 रुपए में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से लोगों को आसानी से उपलब्ध हो रही है. पिछले साल हमने इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ऑफलाइन स्टॉल लगाकर बेचा था, लेकिन इस बार इसे ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया जाएगा. इस वर्ष 1,500 से 2,000 राखियां बनाने का लक्ष्य रखा गया है और अब तक जिस तरह से ऑर्डर मिल रहे हैं, उससे उम्मीद है कि हम अपना लक्ष्य जरूर हासिल करेंगे.

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