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Raksha Bandhan Singodi Recipe: रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ राखी और मिठाई का नहीं, बल्कि भावनाओं, परंपराओं और अपनेपन का होता है. हर साल हम बाजार से मिठाइयां लाते हैं, लेकिन उनमें वो स्वाद और अपनापन नहीं होता जो घर पर बने पकवानों में होता है. इस बार क्यों न रक्षाबंधन को खास बनाया जाए उत्तराखंड की पारंपरिक मिठाई सिंगोड़ी के साथ — पत्तों में लिपटी, देसी स्वाद से भरपूर, जो भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को और भी खास बना दे.
राखी सिर्फ एक धागा नहीं होती, यह भावनाओं की वो डोर होती है, जिसमें भाई-बहन का बचपन, शरारतें और अनगिनत यादें जुड़ी होती हैं. जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो एक मीठा रिश्ता और भी ज्यादा गहरा हो जाता है.

हर साल हम बाजार से मिठाइयां खरीदते हैं, जो स्वाद में भले अच्छे हों, पर उनमें अपनापन और परंपरा (Raksha Bandhan sweets) नहीं झलकती. तो क्यों न इस रक्षाबंधन कुछ हटकर किया जाए? ऐसा कुछ जिसमें स्वाद के साथ-साथ संस्कृति, देसीपन और अपनेपन की मिठास हो.

हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की खास और पारंपरिक मिठाई सिंगोड़ी (Singodi recipe) की. यह मिठाई पत्तों में लिपटी होती है, जो न सिर्फ स्वाद में, बल्कि भावनाओं में भी लाजवाब होती है. इसकी खुशबू में बसी होती है पहाड़ों की मिट्टी, ठंडी हवा और सादगी की मिठास.

सूखा नारियल (कद्दूकस किया हुआ) – 2 कप, मावा – 1 कप, बूरा या पिसी चीनी – स्वादानुसार, इलायची पाउडर – ½ छोटा चम्मच, घी – 1 बड़ा चम्मच और 10–15 मालू या केले या फिर पान के पत्ते.

सबसे पहले कढ़ाही में घी गरम करें. फिर मावा डालें और धीमी आंच पर हल्का सुनहरा होने तक भूनें. फिर उसमें नारियल डालें और 2–3 मिनट तक और भूनें. गैस बंद करके उसमें चीनी और इलायची मिलाएं और मिश्रण को ठंडा होने दें.

अब मालू या केले या फिर पान के पत्तों को त्रिकोण या रोल शेप में मोड़ें. हर पत्ते में थोड़ा-थोड़ा मिश्रण भरें और सिंगोड़ी की तरह लपेट दें. चाहें तो धागे से हल्का बांध सकते हैं. कुछ लोग इसे हल्की भाप में 5 मिनट के लिए भी रखते हैं, जिससे पत्तों की खुशबू मिठाई में रच-बस जाती है.

इस रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025) जब बहन अपने हाथों से बनी सिंगोड़ी भाई को परोसेगी, तो मिठाई में सिर्फ स्वाद नहीं, प्यार, संस्कृति और अपनापन भी मिलेगा. यही वो पल होते हैं जो त्योहारों को यादगार बनाते हैं.
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