NEET UG 2025: नीट यूजी परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सुनाया ये आदेश

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NEET UG 2025 Exam: सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी के री-एग्जाम की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है.यह याचिका 52 छात्रों की ओर से दायर की गई थी.

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हाइलाइट्स

  • NEET UG परीक्षा को लेकर याचिका खारिज.
  • सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया आदेश.
  • SC ने काउंसिलिंग कराने के दिए निर्देश.
NEET UG 2025 परीक्षा से जुड़े एक अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन 52 छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया,जिन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. इन छात्रों ने इंदौर और उज्जैन के कुछ परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल होने की वजह से री-एग्जाम की मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने प्रभावित छात्रों को राहत देते हुए उन्हें काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी.आइए जानते हैं कि कोर्ट ने क्या कहा?

NEET UG 2025: क्या था पूरा मामला?

4 मई 2025 को आयोजित NEET UG 2025 परीक्षा के दौरान इंदौर और उज्जैन के कुछ परीक्षा केंद्रों पर बिजली कटौती की समस्या हुई थी.छात्रों का कहना था कि इस वजह से उनकी परीक्षा प्रभावित हुई और वे ठीक से पेपर नहीं दे पाए. पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इन छात्रों के लिए री-एग्जाम का आदेश दिया था लेकिन बाद में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस फैसले को पलट दिया. डिवीजन बेंच ने एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि बिजली कटौती के बावजूद पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी थी जिससे छात्रों को परीक्षा देने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.इस फैसले के खिलाफ 52 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले को सही ठहराया और री-एग्जाम की मांग को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले की गहराई से जांच की है. एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह साफ है कि बिजली कटौती का असर इतना बड़ा नहीं था कि पूरे एग्जाम को रद्द किया जाए.छात्रों की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने दलील दी कि परीक्षा में 180 सवाल थे और समय भी 180 मिनट का था लेकिन बिजली एक घंटे से ज्यादा समय तक गुल रही. इससे छात्रों का फोकस भटका और वे सही से पेपर नहीं दे पाए.वकील ने यह भी कहा कि इंदौर के 18 और उज्जैन के 6 केंद्रों पर 2,000 से ज्यादा छात्र प्रभावित हुए.लेकिन कोर्ट ने जवाब दिया कि बिजली कटौती का सामना सिर्फ आपने ही नहीं,बल्कि और भी कई छात्रों ने किया होगा. हम किसी एक व्यक्ति या छोटे समूह की याचिका के आधार पर पूरे देश की परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकते.हाईकोर्ट ने हर पहलू को ध्यान से देखा और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को आधार बनाया.कोर्ट ने यह भी देखा कि इंदौर के 27,264 छात्रों में से सिर्फ 75 ने ही याचिका दायर की थी और प्रभावित केंद्रों पर एक छात्र ने ऑल इंडिया रैंक 2 भी हासिल किया था.इससे कोर्ट ने माना कि बिजली कटौती का असर उतना गंभीर नहीं था.

आइए आपको बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में छात्रों से जुड़े याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने क्‍या प्रमुख दलीलें दी गईं. वकील ने कहा कि एकल न्यायाधीश की पीठ ने दोबारा परीक्षा कराने का निर्देश दिया था. एसजी तुषार मेहता ने कहा-हम दोबारा परीक्षा नहीं करा सकते.हर प्रश्नपत्र की कठिनाई का स्तर अलग-अलग होता है.
वकील-वे हमें काउंसलिंग के लिए पंजीकरण भी नहीं करने दे रहे हैं.
तुषार मेहता-हमने वह सब आगे भेज दिया है.
न्यायालय-यदि आप पात्र हैं तो वे इसे लेंगे. छात्रों को अनावश्यक उम्मीदें न दें.
वकील-यह कई छात्रों के लिए आखिरी मौका था.
न्यायालय-समानता के संतुलन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऐसा किया है.
वकील-कम से कम हमें पंजीकरण प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति तो दी जा सकती है.
न्यायालय-यदि आप पात्र हैं तो आपको अनुमति दी जाएगी. विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया जाता है.

प्रभावित छात्रों को राहत

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही री-एग्जाम की मांग खारिज कर दी,लेकिन प्रभावित छात्रों को राहत दी.कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को आदेश दिया कि जिन छात्रों ने याचिका दायर की थी और जो काउंसलिंग के लिए योग्य हैं उन्हें NEET UG 2025 की काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल किया जाए. इसका मतलब है कि इन छात्रों को अब MBBS और अन्य मेडिकल कोर्सेज में दाखिले के लिए काउंसलिंग में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा.

NTA और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट

NTA ने कोर्ट में दलील दी थी कि बिजली कटौती का असर ज्यादा नहीं हुआ.उनके मुताबिक प्रभावित केंद्रों पर मोमबत्तियां, इमरजेंसी लाइट्स और इनवर्टर जैसे वैकल्पिक इंतजाम किए गए थे.विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में भी कहा गया कि प्रभावित और गैर-प्रभावित केंद्रों के छात्रों के स्कोर में कोई खास अंतर नहीं था.NTA ने यह भी बताया कि 22.9 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी और सिर्फ 75 छात्रों की शिकायत को आधार बनाकर री-एग्जाम करवाना लाखों छात्रों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है.

निराश हैं छात्र

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले 52 छात्र अब निराश हैं.कुछ छात्रों ने X पर अपनी नाराजगी जाहिर की और कहा कि वे बिना अपनी गलती के नुकसान में हैं.कई छात्रों ने लिखा कि हम मोमबत्ती की रोशनी में पेपर दे रहे थे फिर भी हमें राहत नहीं मिली.हालांकि सुप्रीम कोर्ट का काउंसलिंग में शामिल करने का फैसला उनके लिए कुछ राहत लेकर आया है.

Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य…और पढ़ें

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