बिहार के नीतू की इस मशीन ने बदली किस्मत, आज खुद दे रहीं दूसरों को रोजगार

Last Updated:

Success Story: समस्तीपुर के उजियारपुर निवासी नीतू देवी जीविका समूह से लोन लेकर सिलाई व्यवसाय में सफल हुईं. अब उनके पास 12 सिलाई मशीनें हैं और दर्जनों महिलाएं काम करती हैं. जिला प्रशासन से ऑर्डर भी मिलते हैं.

समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिले के उजियारपुर प्रखंड निवासी नीतू देवी आज सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. एक समय था, जब वह पूरी तरह से खेती-किसानी पर निर्भर थीं, लेकिन जब जीविका से जुड़ीं, तो उनकी जिंदगी की दिशा बदल गई. जीविका समूह से उन्हें लोन मिला, जिससे उन्होंने एक सिलाई मशीन खरीदी. शुरुआत में यह एक छोटा प्रयास था, लेकिन आज यह एक बड़े व्यवसाय में बदल चुका है.

नीतू देवी के पास अब 12 सिलाई मशीनें हैं और उनके साथ प्रतिदिन दर्जनों महिलाएं काम करती हैं. ये महिलाएं सिलाई का काम सीखने भी आती हैं और मेहनताना भी कमाती हैं. नीतू देवी ने न सिर्फ खुद आत्मनिर्भरता हासिल की, बल्कि गांव की कई और महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना दिया है.

प्रशासन से मिल रहे ऑर्डर

नीतू देवी को अब जिला प्रशासन की ओर से कई तरह के ऑर्डर मिलने लगे हैं. आंगनवाड़ी के बच्चों की ड्रेस हो या राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगे झंडे की सिलाई. हर जिम्मेदारी नीतू देवी की टीम को सौंपी जा रही है. उन्होंने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि 15 अगस्त के लिए झंडे सिलने का ऑर्डर उन्हें मिला है. इस साल भी 5000 से अधिक झंडे तैयार करने की योजना है. बीते साल उन्होंने सिर्फ दो दिन में 2500 झंडे सिलकर जिला प्रशासन को सौंपे थे.

इस साल उन्हें 36 रुपये प्रति झंडा के हिसाब से भुगतान मिलेगा. आंगनवाड़ी बच्चों की ड्रेस के मामले में भी वह सिर्फ 170 रुपये में पूरी यूनिफॉर्म तैयार करती हैं, जो बाहर से मंगवाने की तुलना में काफी सस्ता और टिकाऊ होता है. उनके काम की सराहना जिला प्रशासन के अधिकारी भी कर चुके हैं.

जीविका बनी सहारा

नीतू देवी का समूह “बेला जीविका” के नाम से चलता है. उन्होंने बताया कि अब तक उन्हें जीविका के माध्यम से 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिल चुकी है, जिसकी बदौलत उन्होंने अपना व्यवसाय खड़ा किया और सिलाई मशीनें खरीदीं. उन्होंने बताया कि फिलहाल 12 जीविका दीदी उनके यहां नियमित रूप से काम पर आती हैं और वे सभी अच्छी आमदनी कर रही हैं.

उनका कहना है कि ‘मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती’, और यही कारण है कि वे आज आत्मनिर्भर हैं और दूसरों को भी सहारा दे रही हैं. नीतू देवी अब महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी हैं. नीतू बताता हैं कि यदि इरादे मजबूत हों तो एक मशीन से भी तकदीर बदली जा सकती है.

homebusiness

बिहार के नीतू की इस मशीन ने बदली किस्मत, आज खुद दे रहीं दूसरों को रोजगार

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *