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Manjistha Benefits: नेपाल में मिलने वाली मंजिष्ठा जड़ी बूटी का उपयोग त्वचा और बालों की समस्याओं के साथ-साथ गंभीर बीमारियों के इलाज में होता है. पश्चिम चंपारण में पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे ने इसके कई लाभ बताए हैं.
<strong>पश्चिम चंपारण:</strong> बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मिकीनगर क्षेत्र की सीमा से सटे पड़ोसी देश नेपाल में एक ऐसी जड़ी बूटी मिलती है, जिसे मुख्य रूप से हिमालयन रेंज में पाया जाता है. आयुर्वेद में इस जड़ी का वर्णन एक ऐसी औषधि के रूप में किया गया है, जिसका उपयोग त्वचा की रंगत निखारने से लेकर शरीर की गंभीर से गंभीर बीमारियों तक को दूर करने के लिए किया जाता है. जानकार बताते हैं कि यह जड़ी कोई और नहीं, बल्कि मंजिष्ठा है.

अपने 40 वर्षों के अनुभव के साथ वर्तमान में पतंजलि में कार्यरत आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे बताते हैं कि मंजिष्ठा एक ऐसी जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग तरह तरह की बीमारियों में उपचार औषधि के रूप में किया जाता है. इसकी जड़, तना, फल और पत्तियां सभी औषधीय गुणों से लैस होती हैं. जड़ का काढ़ा बनाकर उससे बालों को धोने से बालों का झड़ना और पकना कम होने लगता है.

मंजिष्ठा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं. यह मुंहासों को कम करती है, त्वचा के दाग-धब्बों को हल्का करती है और रंगत को निखारती है .बरसात में त्वचा की नमी से होने वाली फंगल इन्फेक्शन को भी यह दूर करती है. यदि आप मंजिष्ठा के चूर्ण में शहद और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाते हैं और फिर उसे चेहरे पर लगाकर गुनगुने पानी से धो लेते हैं, तो यकीन मानिए सप्ताह दिन में असर दिखने लगेगा.

दाग-धब्बों सहित कुष्ठ रोग से राहत दिलाने में भी मंजिष्ठा फायदेमंद होती है. आप इसकी जड़ को उबालकर चाय बनाकर पी सकते हैं, जिससे त्वचा अंदर से साफ होती है. साथ ही आप इसके तेल से अपने चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं, जिससे त्वचा की गहराई से सफाई हो जाती है.

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि त्वचा और बाल के अतिरिक्त मंजिष्ठा शरीर के कई रोगों में सहायक होती है, लेकिन उपयोग से पहले आपको किसी अच्छे और अनुभवी डॉ या आयुर्वेदाचार्य की सलाह जरूर लेनी चाहिए. इससे लाभ अधिक मिलेगा और साइड इफेक्ट का खतरा भी कम होगा.