32 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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सवाल- मैं जयपुर से हूं। मेरी दो बेटियां हैं, एक 12 साल की और दूसरी 9 साल की। हमारे परिवार में एक बेटा भी था, जो हम सबकी जान था। लेकिन करीब एक साल पहले 6 साल की उम्र में सांप काटने से उसकी मौत हो गई। यह हादसा हमारे लिए जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा था।
अब रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आ रहा है। यह पहली बार होगा, जब मेरी बेटियां राखी के दिन भाई को अपने सामने नहीं पाएंगी। जैसे-जैसे त्योहार करीब आ रहा है, दोनों की उदासी बढ़ती जा रही है। उनके चेहरे पर मायूसी साफ झलकती है और रोजमर्रा की बातों में भी उनका मन नहीं लगता है। कुछ दिन पहले दोनों ने मुझसे मासूमियत और दर्द से भरे स्वर में पूछा कि “मम्मी, हमारा भाई तो अब इस दुनिया में नहीं है… हम इस बार किसे राखी बांधेंगे?”
उनका यह सवाल सुनकर मैं खुद को संभाल नहीं सकी और रो पड़ी। मेरी आंखों में आंसू देखकर दोनों बेटियां भी फूट-फूटकर रोने लगीं। जैसे-तैसे मैंने उस स्थिति को संभाला। अब मैं ये समझ नहीं पा रही हूं कि बेटियों को इस बारे में कैसे समझाऊं? कृपया मेरी मदद करें।
एक्सपर्ट: डॉ. अमिता श्रृंगी, साइकोलॉजिस्ट, फैमिली एंड चाइल्ड काउंसलर, जयपुर
जवाब- आपका सवाल अपने भीतर एक गहरा भावनात्मक अनुभव समेटे हुए है। आपने सिर्फ अपने बेटे को नहीं, बल्कि परिवार के भावनात्मक संतुलन का एक अहम हिस्सा भी खोया है। ऐसे में आप और आपकी बेटियां इस समय दोहरे ट्रॉमा से गुजर रही हैं। पहला भाई व बेटे की मौत का गहरा दुख और दूसरा त्योहार के मौके पर उसकी अनुपस्थिति से बढ़ा हुआ खालीपन।
ऐसी स्थिति में दुखी महसूस करना स्वाभाविक है। लेकिन अगर आप खुद इस समय अपना धैर्य खो देंगी तो बच्चों के लिए इससे निपटना और कठिन हो जाएगा।
दरअसल बच्चे किसी भी इमोशंस या दुख को वयस्कों की तरह प्रोसेस करने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे में सबसे पहले अपने दुख को थोड़ी देर के लिए साइड करके बच्चों को सपोर्ट करें क्योंकि उन्हें इस समय आपके साथ की ज्यादा जरूरत है।
बच्चों को यह महसूस कराएं कि उनका दुख वैलिड है और उसे व्यक्त करना गलत नहीं है। लेकिन उन्हें इस शोक में लंबे समय तक डूबे रहने से भी बचाएं। आप उनसे कह सकती हैं कि “हां, हम सब भाई को बहुत मिस कर रहे हैं और यह बिल्कुल सामान्य है।” जब बच्चे देखते हैं कि माता-पिता भावनाओं को दबाने की बजाय स्वीकार करते हैं तो वे आपसे अपनी फीलिंग्स शेयर करते हैं।
भाई की अनुपस्थिति में पहली बार रक्षाबंधन मनाना बेटियों के लिए एक इमोशनल चैलेंज है। लेकिन आप एक पॉजिटिव दृष्टिकोण के साथ इस दिन को प्यार, यादों और रिश्तों को संजोने का अवसर बना सकती हैं। इसके लिए बेटियों को राखी सेलिब्रेशन के कुछ ऐसे तरीके बताएं, जो उन्हें भाई की यादों से जोड़े रखें।

एक पेरेंट के रूप में आप अपनी बेटियों को ये भी समझाएं कि भाई भले ही शारीरिक रूप से उनके साथ नहीं है। लेकिन उससे जुड़ी यादें हमेशा उनके दिल में जिंदा रहेंगी। इसके साथ ही कुछ ऐसे कदम उठाएं, जो बेटियों को इमोशनल सपोर्ट देने के साथ त्योहार को सकारात्मक अनुभव में बदल सकते हैं। जैसेकि-
यादों को सेलिब्रेट करना सिखाएं
राखी के दिन बेटे की याद में एक छोटा-सा मेमोरी कॉर्नर बनाएं। बेटियों से उसकी फोटो के पास राखी बांधने को कहें। उसकी पसंद की कोई डिश बनाएं। तीनों मिलकर उसके बारे में अच्छी बातें याद करें। इससे बेटियां समझेंगी कि भाई भले ही हमारे पास मौजूद नहीं है, लेकिन उसका अस्तित्व अब भी हमारे जीवन में है।
त्योहार का असली अर्थ समझाएं
रक्षाबंधन केवल भाई को राखी बांधने की परंपरा नहीं, बल्कि एक-दूसरे की रक्षा करने और साथ निभाने का वादा है। यह वादा बहन-बहन, दोस्त-दोस्त या किसी भी अपने के बीच हो सकता है। बहनें एक-दूसरे को राखी बांध सकती हैं और छोटे-छोटे वादे कर सकती हैं। जैसे “मैं होमवर्क में तुम्हारी मदद करूंगी” या “मैं तुम्हारे साथ खेलूंगी”।
इसके अलावा कजिन, दोस्त या पड़ोसी को भी राखी बांधी जा सकती है। इस मौके पर एक प्रॉमिस कार्ड बनवाएं, जिसमें वे लिखें कि वे एक-दूसरे के लिए क्या करेंगी।
त्योहार को एक्टिविटी-बेस्ड बनाएं
बेटियों को क्राफ्ट एक्टिविटी के जरिए खुद राखी बनाने में शामिल करें। रक्षाबंधन की ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां सुनाएं, जहां यह सिर्फ भाई-बहन का त्योहार नहीं, बल्कि सुरक्षा और प्रेम का प्रतीक रहा है (जैसे कृष्ण-द्रौपदी की कहानी)। उन्हें सिखाएं कि त्योहार सिर्फ मौजूद रिश्तों का नहीं, बल्कि दिल में बसे रिश्तों का भी उत्सव है।
अच्छे काम को परंपरा बनाएं
भाई की याद में हर रक्षाबंधन पर एक अच्छा काम करने की परंपरा शुरू करें। जैसे किसी जरूरतमंद को खाना खिलाना, कपड़े दान करना या किसी की मदद करना। भाई के नाम पर हर साल एक पौधा लगाएं या कोई यादगार वस्तु चुनें, जिसकी देखभाल सालों-साल की जाए। यह भाई के बंधन और प्रेम का जीवंत प्रतीक बन जाएगा।
भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका दें
बेटियों को डायरी, ड्रॉइंग या वीडियो मैसेज के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका दुख अंदर दबा नहीं रहेगा और वे धीरे-धीरे हीलिंग की ओर बढ़ेंगी।

रक्षाबंधन जैसे त्योहार पर भाई की अनुपस्थिति बच्चों के लिए बेहद भावुक समय है। ऐसे समय में पेरेंट्स की छोटी-सी गलती भी उनके मन में लंबे समय तक असर छोड़ सकती है। इसलिए जरूरी है कि पेरेंट्स इन 8 बातों का खास ख्याल रखें।

अंत में यही कहूंगी कि रक्षाबंधन पर भाई की अनुपस्थिति बेटियों के लिए गहरी भावनात्मक चुनौती है। लेकिन पेरेंट्स का संवेदनशील और संतुलित व्यवहार इस खालीपन को दर्द से यादों और प्यार के उत्सव में बदल सकता है। बच्चों को सिखाएं कि भाई का न होना रिश्ते के अंत का संकेत नहीं, बल्कि उस बंधन को और गहराई से महसूस करने का अवसर है।
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इस समय आपकी बेटी एक इमोशनल ब्रेकअप से गुजर रही है। यह वक्त उसे उपदेश देने या समझाने का नहीं, बल्कि उसके साथ बैठने, उसे सुनने और महसूस करने का है। उसे यह एहसास कराना बेहद जरूरी है कि उसका दर्द वाजिब है। पूरी खबर पढ़िए…
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