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Agriculture News: राघव शरद देवस्थले ने बताया कि उन्होंने लेमन ग्रास की खेती पूरी तरह जैविक तरीके से की है. इसमें न तो रासायनिक खाद डाली और न ही कीटनाशकों का इस्तेमाल किया. पहले साल में ही चार बार कटाई हुई. हर ब…और पढ़ें
राघव शरद देवस्थले ने लोकल 18 से कहा कि वह पहले खेती के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे लेकिन गांव में रहकर खेतों से लगाव हुआ. परिवार में कोई खेती नहीं करता था लेकिन खेती करने का मन बना, तो गांव के पास ही एक बीघा जमीन खरीदी. यह जमीन पहले से ही काफी समय से खाली पड़ी थी. पानी की कमी और मिट्टी की गुणवत्ता को देखते हुए उन्होंने पहले गेहूं या मक्का जैसी परंपरागत फसल न लगाकर कोई ऐसी फसल तलाशने की सोची, जिसमें मेहनत कम हो और मुनाफा ठीकठाक हो.
एक बीज से पांच साल तक उत्पादन
उन्होंने कहा कि इसी दौरान उन्हें किसी किसान मेले में लेमन ग्रास के बारे में जानकारी मिली. यह फसल खास सुगंध के लिए जानी जाती है और इसका तेल दवा, साबुन, सौंदर्य प्रसाधनों और हर्बल चाय में काम आता है. खास बात यह थी कि यह फसल किसी भी प्रकार की मिट्टी में उग सकती है और एक बार लगाने के बाद पांच साल तक कटाई मिलती है. राघव को यह जानकारी सही लगी, तो उन्होंने बाहर से लेमन ग्रास के बीज मंगवाए और आधा बीघा जमीन में इसकी खेती शुरू की.
राघव ने खेती पूरी तरह जैविक तरीके से की है. न तो रासायनिक खाद डाली और न ही कीटनाशकों का इस्तेमाल किया. पहले साल में ही चार बार कटाई हुई और हर बार सूखी पत्तियां बेचने पर करीब 20 से 25 हजार रुपये मिले. इसका मतलब है कि पहले साल में ही करीब एक लाख रुपये की आमदनी बंजर मानी जाने वाली जमीन से हो गई, जबकि पारंपरिक फसलों में इतनी कमाई के लिए 2 से 3 बीघा जमीन और बहुत ज्यादा मेहनत लगती है.
नुकसान का खतरा कम
राघव बताते हैं कि लेमन ग्रास की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती. एक बार लगाने के बाद हर तीन महीने में कटाई की जा सकती है. फसल सूखने के बाद इसका तेल निकालने वाली इकाइयों को बेचा जाता है, जो इसे बाजारों और कॉस्मेटिक कंपनियों को सप्लाई करती हैं. लेमन ग्रास की कीमत बाजार में स्थिर बनी रहती है, इसलिए इसमें नुकसान का खतरा भी कम रहता है.
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