ये खतरनाक कीड़ा बॉडी से निकाल देगा खराब खून… 70 रुपए में सूजन, दर्द होगा छूमंतर! जानें विधि

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Jalauka Medical System : डरावनी दिखने वाली जोंक की मदद से शरीर का दूषित खून बाहर निकाला जा सकता है, जिससे सूजन, जोड़ों का दर्द और त्वचा की तकलीफें कुछ ही मिनटों में गायब हो जाती हैं . वो भी महज ₹70 में. जानें क…और पढ़ें

बागेश्वर : आधुनिक दवाओं और इलाज के बीच आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली अपनी खास पहचान बनाए हुए है. खासकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में पंचकर्म चिकित्सा तेजी से लोकप्रिय हो रही है. पंचकर्म की इन्हीं पांच प्रमुख विधियों में एक है जलौका चिकित्सा यानी जोंक थैरेपी, जो केवल 70 रुपये में गंभीर रोगों के इलाज का प्रभावी विकल्प बनकर उभरी है.

गौरतलब है कि जलौका चिकित्सा आयुर्वेद की एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें रोगी के शरीर से दूषित रक्त को बाहर निकालने के लिए जिंदा जोंक का उपयोग किया जाता है. इस पद्धति को आयुर्वेद में रक्तमोक्षण विधि का हिस्सा माना जाता है. जोंक त्वचा से चिपककर खून चूसती है, और साथ ही अपने लार में मौजूद प्राकृतिक एंजाइम व थक्कारोधी पदार्थ (जैसे हिरुडिन) छोड़ती है, जिससे खून पतला होता है और सूजन, दर्द व संक्रमण में आराम मिलता है. खासतौर पर त्वचा रोग, गठिया, नसों की सूजन, रक्तचाप, पुराने घाव, सिरदर्द, रक्तविकार जैसी समस्याओं में यह बेहद लाभकारी मानी जाती है.‌ इस पद्धति में किसी चीर-फाड़ या सर्जरी की जरूरत नहीं होती. जिससे यह बिना दर्द और साइड इफेक्ट के एक सुरक्षित उपाय बनती है.

नहीं है कोई साइड इफेक्ट
बागेश्वर जिले की पंचकर्म चिकित्सा अधिकारी डॉ. संगीता ने लोकल 18 को बताया कि जलौका चिकित्सा के दौरान मरीज की त्वचा पर जोंक को लगाया जाता है. वह धीरे-धीरे रक्त को चूसती है. यह प्रक्रिया प्रशिक्षित आयुर्वेदाचार्य की निगरानी में की जाती है. जिससे संक्रमण या अन्य किसी भी खतरे की संभावना नहीं रहती. इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के रसायन या आधुनिक दवाइयों का उपयोग नहीं किया जाता. जिससे यह पूरी तरह प्राकृतिक और जैविक मानी जाती है. यही कारण है कि जलौका चिकित्सा उन मरीजों के लिए आदर्श विकल्प बन रही है. जो एलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट से परेशान हैं या लंबे समय से बीमारी का हल नहीं पा सके हैं.

70 रुपए में मिलेगा कारगर इलाज
महज 70 रुपये में मिलने वाली यह चिकित्सा अब गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में भी पहुंच रही है. जिससे लोगों को राहत मिल रही है. जलौका चिकित्सा न केवल शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करती है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है. आज जब लोग फिर से प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार की ओर लौट रहे हैं. ऐसे में जलौका चिकित्सा एक प्राचीन लेकिन प्रभावी समाधान बनकर सामने आ रही है बिना दर्द, बिना दवा और बिना किसी साइड इफेक्ट के.

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ये खतरनाक कीड़ा बॉडी से निकाल देगा खराब खून, 70 रुपए में सूजन, दर्द होगा छूमंतर

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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