रायपुर : छत्तीसगढ़ की पारंपरिक भोजन संस्कृति में कई ऐसी देसी भाजियां हैं, जो न केवल स्वाद में लाजवाब होती हैं बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी भी मानी जाती हैं. ऐसी ही एक विशेष भाजी है “चनौरी भाजी”, जिसे चने के पौधे के नर्म और कोमल पत्तों से तैयार किया जाता है.
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक सब्जियों में से एक
राजधानी रायपुर स्थित श्री नारायण प्रसाद अवस्थी शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश सिंह के अनुसार, चनौरी भाजी छत्तीसगढ़ की पारंपरिक सब्जियों में से एक है, जिसका उल्लेख आयुर्वेद में भी मिलता है. चनौरी भाजी को चने के पौधों के नवांकुरों से तोड़कर बनाया जाता है. जब चने के पौधे में नये-नये पत्ते निकलते हैं, तभी उन्हें तोड़कर भाजी बनाई जाती है. इसकी सबसे बड़ी पहचान इसका खट्टापन है, जो स्वाद में अलग ही पहचान देता है। इसके पत्तों में प्राकृतिक क्षार की मात्रा अधिक होती है, जो इसे टेस्टी और चटपटा बनाता है.यही क्षारयुक्तता इस भाजी को शरीर के पाचन तंत्र के लिए बेहद उपयोगी बनाती है.
पाचन क्रिया को मजबूत करता
डॉ. राजेश सिंह आगे बताते हैं कि चनौरी भाजी का सेवन पाचन क्रिया को मजबूत करता है और जठराग्नि को प्रज्वलित कर भोजन को जल्दी पचाने में सहायता करता है. आयुर्वेद में चनौरी भाजी को जॉन्डिस यानी पीलिया के उपचार में भी लाभकारी बताया गया है. इसके नियमित सेवन से लीवर की कार्यक्षमता बढ़ती है और रक्त शुद्धि में सहायता मिलती है. इसके अतिरिक्त अनीमिया यानी शरीर में खून की कमी को दूर करने में भी यह भाजी प्रभावी मानी जाती है. जिन लोगों को गैस बनने की समस्या, पेट फूलना या अपच जैसी दिक्कतें होती हैं, उनके लिए चनौरी भाजी औषधि का काम करती है.
पाचन क्रिया को मजबूत करता
छत्तीसगढ़ में यह भाजी व्रत और त्यौहारों के दौरान विशेष रूप से बनाई जाती है. इसे उबालकर या चना दाल में पकाकर स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में चनौरी भाजी को पारंपरिक चूल्हे पर धीमी आंच में पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और गुण दोनों ही बरकरार रहते हैं. महिलाओं के लिए भी यह भाजी विशेष रूप से लाभकारी मानी गई है. यह शरीर को ठंडक प्रदान करती है और महिलाओं में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है.
गर्मियों में यह भाजी शरीर की गर्मी को कम कर शीतलता प्रदान करती है, वहीं बरसात के मौसम में यह संक्रमण से बचाव करने में मदद करती है. आज के समय में जब लोग बाजार में मिलने वाली मिलावटी सब्जियों और फास्ट फूड की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, ऐसे में चनौरी भाजी जैसी पारंपरिक और औषधीय सब्जियों का महत्व और बढ़ जाता है.
डॉ. राजेश सिंह का मानना है कि स्थानीय और मौसमी सब्जियों के सेवन से न केवल स्वास्थ्य बेहतर रहता है, बल्कि शरीर प्राकृतिक रूप से रोगों से लड़ने की क्षमता भी विकसित करता है. छत्तीसगढ़ की चनौरी भाजी न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि अपने औषधीय गुणों के कारण यह हर घर में उपयोग की जाने वाली विशेष भाजी बन सकती है.