पहाड़ों की ये दुर्लभ जड़ी-बूटी… झटपट कर देगी किडनी की पथरी का काम तमाम! यूरिन इंफेक्शन, दर्द में ‘रामबाण’

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Pashanbhed Himalayan Herbs: हिमालय की वादियों में मिलने वाला पाषाणभेद (शिलफड़) एक औषधीय पौधा है, जो किडनी और यूरिन की पथरी को तोड़ने में कारगर माना जाता है. इसके अलावा कई बीमारियां ऐसी हैं जिन्हें ये जड़ से खत्…और पढ़ें

देहरादून : उत्तराखंड की हिमालयी पहाड़ियां आज भी कई रहस्य समेटे हुए है. इन वादियों में मौजूद औषधीय पौधे कई बीमारियों के इलाज में रामबाण साबित होते हैं. पाषाणभेद यानी सिलफड़ उन्हीं में से एक है. ये जड़ी-बूटी कोई आम नहीं है, बल्कि ये उत्तराखंड (उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़) ) के अलावा, कश्मीर, हिमाचल के ऊंचे पहाड़ी (2200 से लेकर 3200 मी. तक) इलाकों में भी पाया जाता है. साथ ही, भारत के अतिरिक्त यह भूटान, तिब्बत और अफगानिस्तान तक पाया जाता है. इस पौधे की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि यह किडनी और यूरिन की पथरी को उखाड़ बाहर फेंकता है. आइए, इसे डिटेल में समझते हैं.

ब्रह्मचारी महेशस्वरूप बताते है कि पथरी को तोड़कर बाहर (Pashanbhed Benefits For Kidney Stone) निकालने में पाषाणभेद बेहद कारगर सिद्ध होता है. इसके साथ ही, कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. यूरिन इंफेक्शन और दर्द, पेशाब करने में जलन या रुकावट जैसी समस्याओं में लाभकारी, बुखार और सूजन में फायदेमंद, महिलाओं से संबंधित रोगों में भी ये असदार है. आंख और कान के रोग में इस पौधे की पत्तियों का रस दर्द को कम करता है. साथ ही, कब्ज, दांतों की समस्या, पीलिया और त्वचा रोग में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे करें पथरी की बीमारी में इस्तेमाल?
इस पौधे की जड़ या पत्तियों को सुखा लें. फिर उसे पीसकर चूर्ण (2-5 ग्राम) बना लें या फिर काढ़ा (60-100 ml) के रूप में भी लिया जा सकता है. पथरी की समस्या को दूर करने के लिए पत्तियों का रस बताशे के साथ लेना लाभकारी है. स्थानीय लोग इसे घाव, आंख या कान की समस्या में पत्तियों को पीसकर इस्तेमाल करते हैं. हालांकि आपको इसके इस्तेमाल से पहले विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए, कई बार बिना सलाह के इस्तेमाल करना भी घातक हो सकता है.

जड़ी-बूटियां ‘प्रकृति की फार्मेसी’
हिमालय की वादियों में छिपी जड़ी-बूटियां किसी खजाने से कम नहीं हैं. यह वही खजाना है जिसे हमारे पूर्वज बिना किसी लैब टेस्ट और मॉडर्न साइंस के भरोसे, पीढ़ियों से अपनाते आ रहे हैं. किडनी में स्टोन हो या पाचन की गड़बड़ी, बुखार हो या इंफेक्शन, इन औषधियों ने हर दौर में लोगों की सेहत की रखवाली करते हैं. फर्क बस इतना है कि आज हमें इनके गुणों को फिर से पहचानना है और विज्ञान की रोशनी में इनके फायदों को समझना है. सही सलाह और सावधानी के साथ इस्तेमाल करें, तो यह जड़ी-बूटियां वाकई प्रकृति की फार्मेसी साबित हो सकती है.

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