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Chhatarpur News: वैसे तो पूरे छतरपुर में खजूरी (खजरी) के पेड़ 12 महीने पाए जाते हैं लेकिन बरसात में इस पेड़ की मांग ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि बरसात के मौसम में छोटी-छोटी खजूरी के पेड़ ज्यादा देखने को मिलते हैं…और पढ़ें
छतरपुर. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले (Chhatarpur Seasonal Food) में बारिश के मौसम में एक ऐसा भी फूड खाया जाता है, जो जंगली पेड़ से कांट-छांट कर निकाला जाता है. खाने में यह बेहद ही मीठा होता है. साथ ही इसकी सब्जी भी बनाई जाती है. हालांकि यह बाजार में देखने को नहीं मिलता है लेकिन शहर से बाहर खेत-जंगलों में ये खाने को मिल जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि यहां पर खजूरी के पेड़ पाए जाते हैं, जिसे क्षेत्रीय भाषा में खजरी के नाम से भी जाना जाता है. बरसात के मौसम में इसमें फल पकने शुरू हो जाते हैं, जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं. इस कांटेदार पेड़ का फल ही नहीं खाया जाता है बल्कि इसका तना भी फल के तौर पर खाया जाता है.
वैसे तो पूरे छतरपुर जिले में खजूरी के पेड़ 12 महीने पाए जाते हैं लेकिन बरसात के मौसम में इस पेड़ की मांग ज्यादा हो जाती है क्योंकि बरसात के मौसम में छोटी-छोटी खजूरी के पेड़ ज्यादा देखने को मिल जाते हैं और इन्हीं छोटी खजूरी के तने को फल के तौर पर खाया जाता है.
कंदमूल के स्वाद के समान
ग्रामीण बताते हैं कि इसके तने का जो स्वाद होता है, वह बिल्कुल कंदमूल और कच्चे नारियल की तरह ही होता है. बरसात का सीजन है, तो इस सीजन में इसका स्वाद सबको भाता है. बच्चों से लेकर युवा और बूढ़े तक इसको खाना पसंद करते हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि इसके तने का जो स्वाद होता है, वह बिल्कुल कंदमूल और कच्चे नारियल की तरह ही होता है. बरसात का सीजन है, तो इस सीजन में इसका स्वाद सबको भाता है. बच्चों से लेकर युवा और बूढ़े तक इसको खाना पसंद करते हैं.
ज्यादा मात्रा में सेवन से नुकसान
ग्रामीण बताते हैं कि एक व्यक्ति एक बार में इसे 200 ग्राम तक ही खा सकते हैं. अगर इससे ज्यादा खाते हैं, तो यह नुकसान भी कर सकता है क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है.
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