लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान योग ट्रेनर गोकुल बिष्ट ने कहा कि योग एक ऐसा साधन है जो न केवल शरीर को फिट रखता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्रदान करता है. योगासन, प्राणायाम और ध्यान कैंसर की रोकथाम और उसके लक्षणों को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं.
योग एक समग्र चिकित्सा पद्धति है जिसमें आसन, प्राणायाम, ध्यान और मुद्राएं शामिल हैं. यह शरीर और मन दोनों को संतुलित करता है. योगासन शारीरिक लचीलेपन को बढ़ाते हैं, रक्त संचार को दुरुस्त करते हैं और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं. वहीं प्राणायाम और ध्यान मानसिक तनाव को कम करके मूड को सकारात्मक बनाए रखते हैं. ब्रेस्ट कैंसर से बचाव या उससे जुड़े लक्षणों को कम करने के लिए कुछ विशेष योगासन बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं.
बालासन (Child Pose)
बालासन एक सरल और आरामदायक योगासन है. इसे करने के लिए घुटनों के बल बैठें और धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए माथे को जमीन से लगाएं. हाथों को आगे की ओर सीधा फैलाएं या पीछे की ओर ले जाकर रखें. यह आसन शरीर को गहरी विश्रांति देता है और मानसिक तनाव को दूर करता है.
पवनमुक्तासन (Wind-Relieving Pose)
यह आसन पेट और आंतों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है. साथ ही गैस और अपच की समस्या दूर करता है. पवनमुक्तासन शरीर के निचले हिस्से में रक्त प्रवाह को सुधारता है, जिससे कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिलता है. कैंसर की रोकथाम में यह बहुत सहायक है क्योंकि सही पाचन से शरीर में विषैले तत्व जमा नहीं होते और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
भुजंगासन (Cobra Pose)
भुजंगासन योग का एक शक्तिशाली आसन है. इसे करने के लिए पेट के बल लेट जाएं और हाथों को कंधों के पास रखें. सांस अंदर भरते हुए धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी हिस्से को उठाएं और छाती को आगे की ओर फैलाएं. नजर छत की ओर रखें और कुछ सेकंड तक इस स्थिति में रहें.
भुजंगासन छाती और फेफड़ों को मजबूत बनाता है. यह हृदय और श्वसन तंत्र की कार्यप्रणाली को सुधारता है. खासतौर पर महिलाओं के लिए यह आसन ब्रेस्ट क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाकर कोशिकाओं की सेहत को बेहतर बनाता है. इससे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि पर रोक लगाने में सहायता मिल सकती है.