Swami Kailashanand Giri: भगवान की पूजा व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक पक्ष से जुड़ने और अपने भीतर की ऊर्जा को जगाने में मदद करती है. ये अपने आराध्य से संपर्क साधने का सबसे उपयुक्त तरीका है. कहते हैं ना सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नहीं होती बर्शते उसमें रंज मात्र भी छल-कपट और लालच न हो.
ईश्वर की पूजा से न सिर्फ जीवन में सकारात्मकता आती है बल्कि इससे आशावाद की भावना भी पैदा होती है. भगवान की पूजा के 3 प्रकार बताए गए हैं, स्वामी कैलाशानंद गिरी से जानें कौन सा तरीका सबसे सरल है.
स्वामी कैलाशानंद से जानें भगवान की पूजा के 4 प्रकार
भक्ति मार्ग – स्वामी कैलाशानंद गिरी के अनुसार भक्ति सबसे कठिन मार्ग है. भक्ति का मतलब है पूर्ण समर्पण. जो न सिर्फ भगवान के प्रति समर्पण का भाव दर्शाता बल्कि इसमें व्यक्ति को हर जीव-प्राणी के प्रति प्रेम और सेवा का भाव रखना होता है. गीता में भी कहा गया है कि सभी जीवों ईश्वर वास करते हैं, इसलिए किसी भी जीव की सेवा करना भगवान की सेवा करना है. नर सेवा में नारायण सेवा की अनुभूति होने लगे, ऐसी अनुभूति ही सच्ची भक्ति कहलाती है.
ज्ञान मार्ग – ज्ञान मार्ग का अर्थ है आत्म साक्षात्कार यानी स्वंय को जानना. ज्ञान मार्ग एक गहन आध्यात्मिक मार्ग है जो आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की तलाश में ज्ञान, विवेक और आत्म-चिंतन के महत्व पर जोर देता है.
कर्मकांड मार्ग – कर्म योग, जिसे निष्काम कर्म योग भी कहा जाता है, भगवद गीता में के अनुसार ये वो मार्ग है जो बिना किसी फल की इच्छा के अपने कर्तव्यों का पालन करने पर जोर देता है. इसका अर्थ है, अपने कार्यों को समर्पण और उत्साह के साथ करना, लेकिन उनके परिणामों की चिंता किए बिना. इससे न सिर्फ ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है बल्कि मानसिक शांति की अनुभूति होती है. कर्म योग, भगवान से जुड़ने का एक शक्तिशाली मार्ग और सरल मार्ग माना जाता है. गीता में भी कर्म योग पर जोर दिया गया है.
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