शहद से गढ़ी सफलता की मीठी कहानी! ईशा भारती से सीखें सफलता का मंत्र, ग्रामीण महिलाओं की रोल मॉडल

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Success Story: ईशा भारती ने जीविका से जुड़कर मधुमक्खी पालन में सफलता पाई. अब समस्तीपुर में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण दे रही हैं. शहद उत्पादन से लाखों की आमदनी और खुदरा बिक्री से मुनाफा बढ़ाया.

समस्तीपुर: कहते हैं कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, बस जरूरत होती है आत्मविश्वास और धैर्य की. ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है जीविका से जुड़ी ईशा भारती की. जो एक समय बेरोजगारी से जूझ रही थीं, लेकिन आज अपने दम पर आत्मनिर्भर होकर सैकड़ों महिलाओं की रोल मॉडल बन चुकी हैं.

मधुमक्खी पालन से उठाया पहला ठोस कदम

2014 में जीविका से जुड़ने के बाद उन्होंने समूह में काम शुरू किया और दो वर्षों तक संगठनात्मक गतिविधियों में भागीदारी निभाई. 2016 में जीविका के तहत कैडर की भूमिका निभाते हुए उन्होंने विकास की राह पकड़ी. 2020 में जीविका की ओर से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण पाकर उन्होंने स्वरोजगार की ओर पहला ठोस कदम बढ़ाया. ₹50,000 के लोन के साथ साथ 10 बॉक्स के साथ शुरुआत की गई, जो अब 20 से अधिक बॉक्स में तब्दील हो चुकी है.

शहद उत्पादन से लाखों की आमदनी, खुदरा बिक्री से बढ़ाया मुनाफा
ईशा भारती ने मधुमक्खी पालन को न केवल एक आमदनी का साधन बनाया, बल्कि इसे एक सफल व्यवसाय का रूप भी दिया. खास बात यह है कि वह शहद को थोक में न बेचकर खुद पैकेजिंग कर खुदरा बिक्री करती हैं. जिससे उन्हें बेहतर मुनाफा होता है. यह कार्य वह अपने घर के पीछे स्थित बगान में करती हैं, और खेती-किसानी तथा घरेलू काम के बाद आंशिक समय देकर भी सीजन में लाखों रुपये तक की आमदनी कर लेती हैं. वह कहती हैं कि जब यह बिजनेस बढ़ा और आमदनी अच्छी हुई. तब उन्हें लगा कि महिलाएं घर के कामों के साथ-साथ स्वरोजगार में भी आगे बढ़ सकती हैं. उन्होंने बताया कि लोन समय से चुका दिया. अब किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती.

मास्टर ट्रेनर बनकर दे रहीं आत्मनिर्भरता की प्रेरणा
आज ईशा भारती न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि दूसरों को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं. जीविका की मास्टर ट्रेनर के रूप में वह समस्तीपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर महिलाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देती हैं. लोकल 18 की टीम से बातचीत में उन्होंने बताया पहले मैं पैसे के लिए दूसरों पर निर्भर थी, लेकिन अब खुद कमाकर आत्मनिर्भर हूं. उन्होंने कहा शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट जरूर थी, लेकिन ट्रेनिंग और जीविका के सहयोग ने मेरी सोच बदली. ईशा अब यह कार्य सिर्फ कमाई के लिए नहीं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से कर रही हैं. उनकी यह सफलता उन सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं के लिए एक आदर्श है, जो आर्थिक रूप से सशक्त बनने की राह देख रही हैं.

Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें

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