14 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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प्रकृति ने हमें कई ऐसी फल-सब्जियां दी हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती हैं। ‘तुरई’ भी इन्हीं में से एक है।
इसे स्थानीय तौर पर हिंदी में ‘तुरई या तोरई’, बंगाली में ‘झिंगे’, तेलुगु में ‘बीरकाया’ और तमिल में ‘पीरकंगई’ जैसे नामों से जाना जाता है। यह हरी और गूदेदार सब्जी बहुत नरम होती है। इसे बनाना बेहद आसान होता है और ये सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है।
तुरई में विटामिन A, C, आयरन, मैग्नीशियम समेत कई न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें पावरफुल एंटीऑक्सिडेंट्स और अल्कलाइन कंपाउंड भी होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करते हैं और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम तुरई खाने के फायदों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- तुरई में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
- किन लोगों को तुरई नहीं खानी चाहिए?
एक्सपर्ट: डॉ. पूनम तिवारी, सीनियर डाइटीशियन, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ
सवाल- तुरई में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
सवाल- तुरई, लौकी परिवार से संबंधित सब्जी है, जो भारत में व्यापक रूप से उगाई और खाई जाती है। तुरई साइज में लंबी और गहरे हरे रंगी होती है। इसमें कई जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। नीचे दिए ग्राफिक से 178 ग्राम तुरई की न्यूट्रिशनल वैल्यू समझिए-

सवाल- तुरई खाने के क्या हेल्थ बेनिफिट्स हैं?
जवाब- तुरई में पर्याप्त फाइबर होता है, जिससे पाचन तंत्र हेल्दी रहता है और कब्ज जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इसमें मौजूद विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। साथ ही ये शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने मे मदद करती है।
‘द फार्मा इनोवेशन’ जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, तुरई वजन घटाने में मददगार हो सकती है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा बेहद कम होती है। यह फाइबर से भरपूर होती है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और बार-बार खाने की इच्छा कम हो जाती है।
‘साइंस डायरेक्ट’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, तुरई, पोटेशियम का अच्छा सोर्स होने के कारण हार्ट को हेल्दी रखती है। तुरई में पानी की मात्रा पर्याप्त होती है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखती है और शरीर का तापमान कंट्रोल करके गर्मी को कम कर सकती है। गर्मियों में तुरई एक नेचुरल कूलर की तरह काम करती है।
इसकी एक खासियत यह है कि यह अल्कलाइन नेचर की होती है, जो पेट की अम्लता को कम करने में मदद कर सकती है। साथ ही यह शरीर का pH लेवल संतुलित रखने में भी सहायक है। तुरई में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। नीचे दिए ग्राफिक से तुरई के हेल्थ बेनिफिट्स को समझिए-

सवाल- तुरई को अपनी डाइट में कैसे शामिल किया जा सकता है?
जवाब- इसे कई तरीकों से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। जैसेकि-
- तुरई उबालकर सलाद के रूप में खाया जा सकता है।
- इसे स्टिर-फ्राई करके साइड डिश के रूप में खाया जा सकता है।
- इसका इस्तेमाल सूप और स्टू में किया जा सकता है।
- इसे अचार के रूप में खाया जा सकता है।
- इसे धूप में सुखाकर या एयर फ्राई करके काली मिर्च के साथ चिप्स के रूप में भी खाया जा सकता है।
सवाल- क्या ज्यादा तुरई खाना नुकसानदायक भी हो सकता है?
जवाब- आमतौर पर संतुलित डाइट के रूप में तुरई खाना पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन कुछ मामलों में इसका ज्यादा सेवन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम्स का कारण बन सकती है। प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं को संयमित रूप से तुरई का सेवन करना चाहिए।
सवाल- क्या डायबिटिक लाेग तुरई खा सकते हैं?
जवाब- बिल्कुल, तुरई में कैलोरी की मात्रा कम होती है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जो इसे डायबिटिक लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प बनाता है।

सवाल- एक दिन में कितनी मात्रा में तुरई खाना सुरक्षित है?
जवाब- सीनियर डाइटीशियन डॉ. पूनम तिवारी बताती हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए दिन में लगभग 100-150 ग्राम पकी तुरई खाना आमतौर पर सुरक्षित और फायदेमंद है। अगर तुरई को अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर खाते हैं तो यह मात्रा थोड़ी कम करना बेहतर है।
सवाल- सही तुरई का चुनाव कैसे करें?
जवाब- एक ताजी तुरई के संकेत यह हैं कि यह बहुत ज्यादा पकी हुई नहीं होती है क्योंकि इस अवस्था में इसका स्वाद खो जाता है। अच्छी तुरई का रंग गहरा हरा होता है और जो छूने में सख्त होती हैं। सही तुरई चुनने का एक और तरीका इसके तने से है। अगर तना हरा है तो सब्जी के ताजी होने की संभावना अधिक होगी।
सवाल- तुरई पकाने का सही तरीका क्या है?
जवाब- तुरई को ज्यादा पकाना नहीं चाहिए क्योंकि इससे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का नुकसान हो सकता है।
सवाल- किन लोगों को तुरई नहीं खाना चाहिए?
जवाब- हालांकि तुरई एक हल्की, पचने में आसान और पोषक सब्जी है, फिर भी कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके सेवन से परहेज करना चाहिए। कुछ लोगों को तुरई खाने के बाद खुजली, सूजन या पेट दर्द जैसी एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है। इसलिए एलर्जी वाले लोगों को तुरई नहीं खानी चाहिए।
तुरई में फाइबर ज्यादा होता है, इसलिए अगर किसी का पाचन तंत्र बहुत धीमा है या बार-बार गैस की शिकायत रहती है तो सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें।
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