45 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह
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आज दुनियाभर में ‘वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे’ मनाया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को अंगदान (Organ Donation) के महत्व के प्रति जागरूक करना और यह समझाना है कि कैसे एक व्यक्ति की पहल कई जिंदगियों को नई सांसें दे सकती है।
भारत में हर साल लाखों लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें लिवर, किडनी, हार्ट या आंखों जैसे अंगों की सख्त जरूरत होती है, लेकिन समय पर डोनर न मिलने के कारण उनकी जान चली जाती है। जबकि एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग करीब 8 लोगों की जान बचा सकते हैं।
भारत में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 जैसे कानून बनाए गए हैं। सरकार की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, ताकि इस नेक काम को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर किया जा सके।
तो चलिए, जरूरत की खबर में आज जानते हैं कि कौन अंगदान कर सकता है? साथ ही जानेंगे कि-
- अंगदान करने का प्रोसेस क्या है?
- किन-किन अंगों का डोनेशन संभव है?
एक्सपर्ट : डॉ. प्रशांत विलास भंगुई, डायरेक्टर, लिवर ट्रांसप्लांट, मेदांता
सवाल- ऑर्गन डोनेशन क्या है?
जवाब- जब हमारे शरीर का कोई अंग खराब हो जाता है और वो काम करना बंद कर देता है, तब उस अंग की जगह किसी दूसरे व्यक्ति का स्वस्थ अंग लगाया जाता है। इसे ऑर्गन ट्रांसप्लांट कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने शरीर का अंग किसी जरूरतमंद को देता है तो उसे अंगदान (ऑर्गन डोनेशन) कहते हैं।
सवाल- भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत और उपलब्धता के बीच कितना बड़ा अंतर है?
जवाब- भारत में जिन मरीजों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है और जितने ट्रांसप्लांट असल में किए जाते हैं, उनके बीच बहुत बड़ा फर्क है। इसे जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया (JAPI) के इस आंकड़े से समझिए-

सवाल- ऑर्गन और टिश्यू डोनेशन में क्या अंतर है?
जवाब- ऑर्गन यानी शरीर का बड़ा और पूरा अंग, जिसके सही तरीके से काम करने पर हमारी जिंदगी टिकी होती है। जैसे दिल, फेफड़े, किडनी, लिवर। इनमें खराबी आ जाए तो इंसान की जान खतरे में पड़ सकती है और इन्हें बदलने के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। टिश्यू यानी ऊतक, जो किसी अंग का छोटा-सा हिस्सा या परत होते हैं। ये कई कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं और शरीर को खास काम करने में मदद करते हैं। जैसेकि-
कॉर्निया: आंख का पारदर्शी हिस्सा, जो रोशनी अंदर जाने देता है।
स्किन: त्वचा, जो शरीर को ढकती और बचाती है।
हार्ट वॉल्व: दिल के अंदर का हिस्सा, जो खून के फ्लो को कंट्रोल करता है।
सवाल- कौन-कौन से अंग और टिश्यू दान किए जा सकते हैं?
जवाब- अंगदान सिर्फ दिल या किडनी देने तक सीमित नहीं है। जब कोई व्यक्ति अंगदान करता है तो उसके शरीर से कई अंग और ऊतक ऐसे निकल सकते हैं, जो जरूरतमंद मरीजों की जान बचा सकते हैं या उनकी जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।
कुछ अंग सीधे जीवन बचाते हैं, जबकि कुछ टिश्यू जीवन की क्वालिटी सुधारते हैं। जैसे देखने की क्षमता लौटाना या जलने के घाव भरना। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए-

सवाल- शरीर का कौन सा अंग कब तक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
जवाब- हर अंग का एक निश्चित समय होता है, जिसके भीतर उसे ट्रांसप्लांट किया जाना जरूरी होता है। आइए समझते हैं कि कौन-सा अंग कितने समय में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।

सवाल- क्या अंगदान (Organ Donation) केवल मौत के बाद ही किया जा सकता है?
जवाब- अंगदान सिर्फ मौत के बाद ही नहीं, बल्कि जिंदा रहते भी किया जा सकता है। हालांकि जीवित व्यक्ति सभी अंग नहीं दे सकता है। वह सिर्फ कुछ अंग या उनका हिस्सा ही दान कर सकता है। अंगदान के दो तरीके होते हैं।
लिविंग डोनर
जो व्यक्ति जिंदा रहते किसी जरूरतमंद को एक किडनी या अपने लिवर का एक हिस्सा देता है।
ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि इंसान एक किडनी के साथ भी जी सकता है और लिवर में खुद को दोबारा विकसित करने की क्षमता होती है।
डिसीज्ड डोनर
जब किसी व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है (यानी मस्तिष्क हमेशा के लिए काम करना बंद कर देता है) तब उसके परिवार की सहमति से उसके अंग निकाले जाते हैं।

सवाल- अगर कोई व्यक्ति अंगदान (ऑर्गन डोनेशन) करना चाहता है तो उसकी क्या प्रक्रिया है?
जवाब- अंगदान करने की प्रक्रिया बहुत आसान है, इसके लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं।
स्टेप 1: किसी सरकारी या भरोसेमंद संस्था की वेबसाइट पर जाएं।
स्टेप 2: वहां से डोनर फॉर्म डाउनलोड करें। यह बिल्कुल मुफ्त होता है।
स्टेप 3: फॉर्म को ध्यान से पढ़कर अपनी पूरी जानकारी के साथ भरें।
स्टेप 4: फॉर्म पर दो लोगों के हस्ताक्षर (साक्षी के रूप में) जरूरी हैं, जिनमें से एक आपका नजदीकी रिश्तेदार होना चाहिए।
स्टेप 5: फॉर्म जमा करने के बाद आपका रजिस्ट्रेशन होगा और आपको डोनर कार्ड जारी किया जाएगा।
स्टेप 6: यह कार्ड आपके पते पर डाक से भेजा जाएगा। इसे अपने पास सुरक्षित रखें।
स्टेप 7: अपने परिवार और करीबी लोगों को जरूर बताएं कि आपने अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन किया है, ताकि सही समय पर वे अस्पताल को जानकारी दे सकें।
अगर किसी ने पहले से रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तब भी मौत के बाद अंगदान संभव है। इसके लिए परिवार की अनुमति जरूरी होती है।
सवाल- ऑर्गन डोनेट करने के लिए कौन-कौन सी जरूरी शर्तें होती हैं?
जवाब- ऑर्गन डोनेशन एक सेंसिटिव और कानूनी प्रक्रिया है। इसे करते समय न सिर्फ मेडिकल जांच जरूरी होती है, बल्कि कानूनी और नैतिक शर्तों का भी पालन करना होता है। ताकि डोनेशन पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ हो सके।

सवाल- भारत में ऑर्गन डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
जवाब- भारत सरकार ने अंगदान को आसान, सुरक्षित और ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। जैसेकि-
- 1994 में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA) लागू किया गया।
- इसमें ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग दान की अनुमति और अंगों की खरीद-बिक्री पर पूरी तरह रोक है।
- NOTTO (नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन) देशभर में अंगों के सही और निष्पक्ष वितरण की देखरेख करता है।
- लोग अब इंटरनेट से आसानी से अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
- सरकार और NGO टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के जरिए अंगदान के फायदे और महत्व बताते हैं।
- हर साल 27 नवंबर को राष्ट्रीय अंगदान दिवस मनाया जाता है।
- मृत डोनर से अंग पाने की 65 साल की उम्र सीमा खत्म की गई।
- ट्रांसप्लांट के लिए अब किसी भी राज्य में डोमिसाइल सर्टिफिकेट जरूरी नहीं।
- ब्रेन डेड मरीज की जानकारी तुरंत प्राधिकरण को देना अनिवार्य है, जिससे अंग समय पर जरूरतमंद तक पहुंच सके।
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