आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नया कमाल! अब आप जो सोचेंगे AI उसे शब्दों में लिखेगा, जानें क्या है तक

AI: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में एक अनूठी उपलब्धि हासिल हुई है. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी पहने जाने वाली डिवाइस (wearable device) विकसित की है जो आपके दिमाग की तरंगों को टेक्स्ट में बदल सकती है. यह तकनीक विशेष रूप से उन लोगों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है जो बोल नहीं सकते या मूवमेंट में असमर्थ हैं.

कैसे काम करती है यह डिवाइस?

इस डिवाइस में एक इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (EEG) कैप पहनाई जाती है जो दिमाग की इलेक्ट्रिकल गतिविधि को सेंसरों के माध्यम से कैप्चर करती है. उस जानकारी को एक मॉनिटरिंग यूनिट पर भेजा जाता है, जहां डीप लर्निंग आधारित AI डिकोडर ब्रेन सिग्नल्स को शब्दों में बदलता है. इसके बाद एक बड़ा लैंग्वेज मॉडल (large language model) उस टेक्स्ट को और भी परिष्कृत करता है और संभावित गलतियों को सुधारता है. अंत में, सही शब्द स्क्रीन पर दिखाई देते हैं.

अभी शुरूआती चरण में

इस तकनीक का विकास शुरूआती चरण में है. इसमें अभी सिर्फ कुछ शब्दों और वाक्यों के सीमित सेट पर ट्रेनिंग की गई है जिससे हर शब्द को पहचानना सरल रहे. फिलहाल यह डिवाइस लगभग 75% मामलों में सही शब्द पहचानने में सफल रही है और वैज्ञानिक इसकी एक्यूरेसी 90% तक ले जाने का प्रयास कर रहे हैं.

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) क्या है?

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) कोई नई अवधारणा नहीं है. ऐसी कई तकनीकें विकसित की जा रही हैं जो मानव मस्तिष्क को सीधे मशीनों से जोड़ती हैं. उदाहरण के तौर पर, एलन मस्क की न्यूरालिंक (Neuralink) डिवाइस सिर में सर्जरी द्वारा चिप लगाकर लोगों को केवल सोचकर कंप्यूटर या मोबाइल कंट्रोल करने में समर्थ बनाती है. इसी तरह, अमेरिकी कंपनी पैरडोमिक्स (Paradomix) हाई प्रसीजन से न्यूरल गतिविधियों को पढ़ने के लिए माइक्रोइलेक्ट्रोड्स का इस्तेमाल करती है.

क्या खास है सिडनी की तकनीक में?

सिडनी की यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की यह सिस्टम पूरी तरह नॉन-इनवेसिव यानी बिना सर्जरी के बनी है. केवल ईईजी कैप लगाकर दिमागी तरंगों से टेक्स्ट बनाया जाता है. न तो सिर में चिप लगवानी पड़ती है और न किसी शल्य चिकित्सा की जरुरत.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक स्ट्रोक पीड़ितों, बोलने में असमर्थ या लकवे के शिकार व्यक्तियों के लिए जीवन बदलने वाली साबित हो सकती है. आने वाले समय में वियरेबल डिवाइस के जरिए “चुपचाप सोचे गए” आदेश और बातचीत को रियल टाइम में डिजिटल डिवाइस या ऑगमेंटेड रिएलिटी में बदलने की कल्पना की जा सकती है.

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