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बरसात आते ही बाजारों में दिखने वाली कांटेदार हरी सब्जी कंटोला सेहत का खजाना मानी जाती है. आदिवासी इसे बरसात का वरदान कहते हैं. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डा. श्रीराम वैद्य के अनुसार, कंटोला मीट और चिकन से 50 गुना ज्यादा ताकतवर है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
<br />कंटोला ऐसी सब्जी है जो सिर्फ मानसून के दिनों में ही मिलती है. जैसे ही बारिश की फुहारें गिरती हैं, यह कांटेदार हरी सब्जी खेतों, पहाड़ियों और जंगल की झाड़ियों में उग आती है. आदिवासी और ग्रामीण इसे अपने हाट-बाजार में बेचते हैं. इसकी खासियत यह है कि यह साल में केवल कुछ हफ्तों तक ही उपलब्ध होती है. इस वजह से इसे लोग बरसात का वरदान मानते हैं.

<br />गृहिणियां कंटोला को झटपट बनाने वाली सब्जी कहती हैं. इसमें प्याज-टमाटर डालने की भी जरूरत नहीं होती. बस थोड़े लहसुन की कलियां और घर के सूखे मसाले हल्दी, लाल मिर्च, धनिया डालकर यह सब्जी तैयार हो जाती है. स्वाद में यह हल्की कड़वी लेकिन करारी होती है और इसकी खुशबू खाने वालों को खास ताजगी देती है.

<br />आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार कंटोला में प्रोटीन की मात्रा इतनी अधिक है कि यह मीट, बीफ और चिकन से भी 50 गुना ज्यादा ताकतवर माना जाता है. इसमें प्रोटीन के साथ-साथ फाइबर, फोलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसे तत्व मौजूद रहते हैं. यही वजह है कि इसे आदिवासी लोग अपनी रोज़मर्रा की थाली में जरूर शामिल करते हैं.

<br />कंटोला को हेल्थ डायबिटीज और मोटापे जैसी बीमारियों के लिए रामबाण मानते हैं. इसमें मौजूद प्राकृतिक फाइबर पाचन को दुरुस्त रखता है और वजन नियंत्रित करता है. यह शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करता है और इम्युनिटी को मजबूत करता है. बरसात के दिनों में जब संक्रमण और मौसमी बीमारियां फैलती हैं, तब कंटोला शरीर को इनसे बचाने का काम करता है.

<br />ग्रामीण और आदिवासी मानते हैं कि कंटोला सिर्फ खाने से ताकत ही नहीं देता, बल्कि इसमें सांप के ज़हर तक को बेअसर करने की क्षमता होती है. यही वजह है कि इस सब्जी को वे औषधीय पौधा मानते हैं और इसे अपनी पीढ़ियों से परंपरागत भोजन का हिस्सा बनाए हुए हैं.

<br />आजकल बाजार में प्रोटीन पाउडर महंगे दामों पर बिक रहे हैं. लेकिन आदिवासियों के थाल में मौजूद यह देसी सब्जी किसी आयुर्वेदिक सुपरफूड से कम नहीं है. कंटोला न केवल सस्ता और स्थानीय है बल्कि पूरी तरह से प्राकृतिक और सेहत से भरपूर भी है. यही वजह है कि इसे बरसात का देसी सुपरफूड कहा जाता है.
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