खरगोन में दिखा ‘घोंसलों का जादूगर’, नेपाल-पाकिस्तान या अफगानिस्तान का है मेहमान, कलाकारी ऐसी की सब हैरान

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Unique Weaver Bird: मध्य प्रदेश के खरगोन में दुर्लभ बया पक्षी दिखाई दे रहा है, जो अपने खूबसूरत और मजबूत घोंसलों के लिए जाना जाता है. यह पक्षी सिर्फ 7 महीने भारत में रहता है.

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन में इन दिनों एक दुर्लभ प्रवासी पक्षी देखा जा रहा है, जिसे बुनकर पक्षी, बया या वीवर बर्ड भी कहा जाता है. यह आमतौर पर नेपाल, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में पर पाया जाता है. प्रवास के दौरान भारत में सिर्फ 7 महीने ही दिखाई देता है, फिर अपने देश लौट जाता है. सबसे खास बात यह है कि यह पेड़ों की सबसे कमजोर टहनियों पर भी मजबूत घोंसले बुन देता है. घोंसले की बुनाई इतनी सुंदर और मजबूत होती है कि तेज आंधी-बारिश में भी नहीं टूटता. विशेषज्ञ इसे “प्रकृति का आर्किटेक्ट” कहते हैं, क्योंकि इसकी कला किसी इंजीनियर से कम नहीं है.

खरगोन पीजी कॉलेज के जूलॉजी प्रोफेसर डॉ. रविंद्र रावल बताते हैं कि बया पक्षी को बुनकर की तरह घोंसला बनाने की कला की वजह से बुनकर पक्षी भी कहा जाता है. जिसका वैज्ञानिक नाम Ploceus philippinus है. यह पक्षी घास के तिनकों को एक दूसरे में बुनकर घोंसला बनाता है, जिसका आकार लालटेन जैसा होता है. खास बात यह है कि यह अपना घर हमेशा पेड़ की सबसे कमजोर डाली पर बनाता है, जिससे सांप या अन्य शिकारी उस तक न पहुंच सकें.

दुर्लभ पक्षी की श्रेणी बया
बया पक्षी बेहद दुर्लभ माने जाते है और इनकी संख्या भी लगातार कम होती जा रही है. इसलिए इन्हें वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति में रखा गया है. इसका शिकार करना या पालतू बनाना पूरी तरह प्रतिबंधित है. भारत में यह पक्षी मई से दिसंबर के बीच दिखाई देता है. इसी दौरान यह प्रजनन करता है, अंडे देता है और बच्चे निकलने के बाद फिर अपने मूल देशों की ओर लौट जाता है.

मादा को रिझाने नर बदलता है रंग
प्रोफेसर रावल बताते है कि, इस पक्षी की पहचान प्रजनन काल में और भी खास हो जाती है. नर बया का रंग बदलकर चमकीला पीला हो जाता है, जबकि मादा का रंग सामान्य ही रहता है. नर पक्षी अपने घोंसले को जितना सुंदर और मजबूत बनाता है, उतनी ही संभावना होती है कि मादा उसे साथी के रूप में चुने. यानी, घोंसले की खूबसूरती ही इनके रिश्ते की नींव होती है.

कॉलोनी बनाकर करते हैं निवास
बुनकर पक्षी का भोजन बेहद साधारण है. यह घास के बीज, फसल के दाने और मिट्टी में पाए जाने वाले छोटे कीड़ों को खाता है. इन्हें झुंड में कॉलोनी बनाकर रहना पसंद होता है. इसलिए एक ही पेड़ पर कई सारे घोंसले देखे जा सकते है. जब ये पक्षी सामूहिक रूप से घोंसले बुनते हैं तो पेड़ किसी सजावट की तरह चमक उठता है. खतरा महसूस होने पर बचाव के लिए पूरी कॉलोनी के पक्षी एकत्रित हो जाते है.

इंसानों से भी कमाल है कारीगरी
वहीं, विशेषज्ञ मानते हैं कि बया पक्षी की घोंसला बनाने की कला इंसानों के इंजीनियरिंग कौशल से भी कमाल की होती है. इसे देखना प्रकृति के अद्भुत चमत्कार जैसा है. खरगोन में इस पक्षी का दिखना न सिर्फ पक्षी प्रेमियों के लिए सौभाग्य है, बल्कि यह जैव-विविधता और पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से भी बेहद खास माना जा रहा है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

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