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हैदराबाद में कबूतरों की बढ़ती तादाद अब शहरवासियों और प्रशासन के लिए परेशानी बन गई है. हुसैन सागर और मक्का मस्जिद जैसे प्रमुख स्थलों पर उनकी बीट न केवल सफाई व्यवस्था बिगाड़ रही है, बल्कि फंगल इंफेक्शन और सांस की…और पढ़ें
स्थानीय निवासियों के अनुसार कबूतरों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है जिससे उनकी बीट इमारतों, सड़कों और पैदल मार्गों पर जमा हो रही है. यह न केवल सफाई व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे कई तरह की बीमारियां फैलने का भी खतरा है. कबूतरों के मल से फंगल इंफेक्शन, सांस संबंधी समस्याएं और एलर्जी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
इस समस्या को देखते हुए हैदराबाद के कुछ इलाकों में कबूतरों को दाना न डालें जैसे बोर्ड लगाए गए हैं. इनमें हुसैन सागर और मक्का मस्जिद जैसे प्रमुख स्थान शामिल हैं जहां अक्सर लोग कबूतरों को दाना डालते हैं. प्रशासन का कहना है कि अगर लोग कबूतरों को खिलाना बंद कर दें तो उनकी आबादी नियंत्रित हो सकती है और सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाला नुकसान कम किया जा सकता है.
एक्सपर्ट की सलाह
पशु विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि कबूतरों को खिलाने से उनकी प्रजनन दर बढ़ती है जिससे उनकी आबादी तेजी से फैलती है. इसके अलावा, उनके मल में क्रिप्टोकोकस और हिस्टोप्लाज्मा जैसे हानिकारक फंगस हो सकते हैं जो मनुष्यों में गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं. अगर आप ज़्यादा देर तक बिट के पास रहते तो ये नुकसान देह है.
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
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