इतना ही नहीं कुत्तों को पकड़ने से लेकर, उनकी नसबंदी करने के लिए पर्याप्त वेटरिनरी डॉक्टर्स व स्टाफ और इन कुत्तों के स्टेरलाइजेशन के लिए डेवलप किए जाने वाले सेंटर्स पर आने वाला खर्च इससे अलग होगा. 2400 करोड़ रुपये का आंकड़ा सिर्फ और सिर्फ स्टेरलाइजेशन के प्रोसेस का है, जिसमें सर्जिकल प्रोसेस और डॉग्स की सर्जरी के बाद देखभाल ही शामिल है. आइए एक्सपर्ट से स्टेरलाइजेशन के इस पूरे प्रोसेस के बारे में गहराई से जानते हैं…
डॉ. बताते हैं कि मेल कुत्तों की नसबंदी 4 महीने की उम्र से लेकर डेढ़ साल के बीच में की जाती है तो यह सबसे सही समय है. हालांकि डेढ़ साल के बाद भी इनकी नसबंदी की जा सकती है. इसके 3 फेज होते हैं.सबसे पहले फेज में मेल डॉग के क्लीनिकल पैरामीटर्स देखते हुए ब्लड टेस्ट किया जाता है. जब सब कुछ सामान्य आता है तो डॉग के टेस्टिकल्स को सर्जरी के माध्यम से हटाया जाता है. इसे कैस्ट्रेशन यानि बंध्याकरण भी कहते हैं.
फीमेल डॉग्स का ये है प्रोसेस और खर्च
डॉ. शिवम का कहना है कि फीमेल डॉग्स के स्टेरलाइजेशन या स्पेइंग के लिए उन्हें पकड़ा जाता है. चूंकि इस प्रोसेस के लिए रिप्रोडक्टिव अंगों का पूरी तरह विकसित होना जरूरी है, ऐसे में फीमेल डॉग्स में यह सर्जरी 6 महीने के बाद ही की जा सकती है.
सर्जरी के बाद केयर क्यों जरूरी?
डॉ. शिवम कहते हैं कि कई बार कुत्तों को नसबंदी करने के दूसरे दिन ही छोड़ दिया जाता है, लेकिन ये उनकी सेहत के लिए खराब है. सर्जरी के बाद उन्हें केयर मिलनी ही चाहिए, नहीं तो उनको सेप्टीसीमिया हो सकता है, शरीर में इन्फेक्शन भी फैल सकता है या अन्य प्रकार के हेल्थ इश्यूज होने के चांसेज होते हैं और कई बार डॉग्स की मृत्यु भी हो जाती है. वहीं अगर डॉग को सेप्टीसीमिया हो जाए तो उसके इलाज में ज्यादा खर्च के साथ ही रिस्क भी बढ़ जाता है.
मौसम भी डालता है असर
डॉग्स के स्टेरलाइजेशन के लिए मौसम का भी ध्यान रखना होता है. अगर बारिश का मौसम है तो इस मौसम में इन्फेक्शन फैलने की संभावना होती है. इसके अलावा हीलिंग का समय भी बढ़ सकता है.