हद है! इमरजेंसी वार्ड में मोबाइल की रोशनी से हुआ इलाज, बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था बना मजाक

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Khagaria News: खगड़िया सदर अस्पताल में आपातकालीन वार्ड में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज हो रहा है. स्थानीय मीडिया को कवरेज की अनुमति नहीं है. जिलाधिकारी नवीन कुमार की लापरवाही उजागर हुई.

खगड़िया: आपातकालीन कक्ष क्षेत्र में फोटो वीडियो बनाना सख्त मना है…. आदेशअनुसार सिविल सर्जन खगड़िया ! यह सूचना है बिहार के सदर अस्पताल खगड़िया के आपातकालीन वार्ड का. जहां मोबाइल टोर्च की रोशनी में चिकित्सक एक्सरे को पढ़ते हैं. मरीजों का इलाज करते हैं. बाहर से चमकदार कंक्रीट के बड़े-बड़े महल के अंदर की सच्चाई स्थानीय मीडिया को दिखाने की इजाजत नहीं है. यदि खबर दिखाएं तो स्वास्थ्य विभाग के एजेंट के द्वारा मामला दर्ज करवा दिया जाता है. लोकल 18 को अस्पताल के गैर जिम्मेदार सिस्टम के कुछ रखवाले के द्वारा खबर ना दिखाने के हिदायत दी गई. देखिए रिपोर्ट…

टॉर्च की रोशनी में मरीजों का ईलाज
खगड़िया सदर अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में 11 अगस्त की शाम 6.0 से सामने आई तस्वीरों को लोकल 18 पर आप देख सकते हैं यहां टोर्च की रोशनी में आपातकालीन वार्ड में मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यह आज के बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था के अनुरूप कितना सही है? क्या मरीज का x-ray टॉर्च की रौशनी में पढ़ सकते हैं? लेकिन जरा लोकल 18 पर आप तस्वीरों में देखिए टोर्च की रोशनी में बकायदा चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे हैं. कुछ मरीज है कि नीचे फर्श पर बैठे हुए अंधेरा में कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. लोकल 18 ने कवरेज के लिए मोबाइल टॉर्च का प्रयोग किया तब तक कुछ तस्वीर सामने आ पाई. यह तस्वीर है खगड़िया जिलाधिकारी नवीन कुमार के कार्यक्षेत्र का और इनके लापरवाही का सबुत भी. अर्थी पर अस्पताल और बेशर्म स्वास्थ व्यवस्था की यह तस्वीर सरकार के नाकामी का सबसे बड़ा सबूत भी है.

इमरजेंसी ओपीडी में चिकित्सक भी लापता
जिले की सड़कों पर सड़क हादसे में हुए घायल और प्रखंड अस्पताल से रेफर मरीज अस्पताल यहां खोजते रहे डॉक्टर साहब कहां है? इन्हें 4:00 से 6:00 तक कोई चिकित्सक नजर ही नहीं आए जो इनका आपातकालीन वार्ड में भी इलाज कर सके. इस दौरान 6:00 के आसपास तकरीबन 25 मिनट तक मोबाइल टॉर्च की रोशनी में अस्पताल के कुछ कमी चिकित्सक की भूमिका निभाते हुए मरीजों का इलाज करते दिखे. अब सवाल उठता है ऐसे बेशर्म सिस्टम पर जिलाधिकारी मौन क्यों? लोकल 18 का यह वीडियो स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की गंभीर स्थिति को उजागर करता है, खासकर तब जब बिहार में चुनावी साल हो. क्या सिविल सर्जन की लापरवाही से ऐसा हुआ? या फिर जिलाधिकारी सिविल सर्जन पर कार्रवाई करने से डरते हैं ? सवाल कई है जिसका जवाब देना ही होगा.

Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें

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हद है! इमरजेंसी वार्ड में मोबाइल की रोशनी से हुआ इलाज, व्यवस्था है या मजाक?

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