यह बीमारी तब होती है जब आंख का ऊतक पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है. यानी आंख में ऊतक का कुछ भाग नहीं बन पाता है. यह दिक्कत एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है. अब सवाल है कि आखिर कोलोबोमा क्या है? क्यों हो सकती यह बीमारी? कोलोबोमा के लक्षण और उपचार क्या है? इस बारे में News18 को बता रही हैं चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय दिल्ली की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शिप्रा शारदा-
डॉ. शिप्रा शारदा बताती हैं कि, कोलोबोमा एक आंखों से जुड़ी बीमारी है. इस बीमारी को बच्चे साथ लेकर पैदा होते हैं. यह बीमारी तब होती है जब असामान्य या परिवर्तित जीन के कारण गर्भावस्था के दौरान बच्चे की आंख बनाने वाले ऊतक का हिस्सा गायब हो जाता है. यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है. यह स्थिति आंखों के विकास को प्रभावित कर सकती है.
आंख में कोलोबोमा किस जगह हो सकते हैं?
कोलोबोमा है या नहीं, कैसे जानें?
डॉ. शिप्रा बताती हैं कि, कोलोबोमा के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आंख का कौन सा हिस्सा प्रभावित है. कुछ मामलों में, कोलोबोमा दृष्टि को प्रभावित नहीं करता है, जबकि अन्य मामलों में, यह गंभीर दृष्टि हानि या अंधापन का कारण बन सकता है. हालांकि, सामान्य लक्षणों में आंख या पलक का असामान्य दिखना, धुंधली दृष्टि, अंधे धब्बे, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता आदि हो सकते हैं.
कोलोबोमा का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितना गंभीर है और यह दृष्टि को कैसे प्रभावित करता है. कुछ मामलों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि अन्य मामलों में, चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है.