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Health Tips: बघेलखंड के लोग एक पेड़ को सदियों पुराना वैद्य मानते हैं. इसकी छाल, पत्तियां और बीज आयुर्वेदिक उपचार में अहम भूमिका निभाते हैं. चलिए जानते है इसके औषधीय गुण…
हाइलाइट्स
- अर्जुन का पेड़ हृदय रोगों के इलाज में लाभकारी है
- अर्जुन की छाल से बनी चाय हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल में कारगर है
- अर्जुन का तना त्वचा रोग और अपच के इलाज में उपयोगी है
हृदय के लिए अमृत समान
रामटेकरी नर्सरी के प्रभारी विष्णु तिवारी ने बताया कि अर्जुन का पेड़ आयुर्वेद का एक अभिन्न हिस्सा है. सदियों से बघेलखंड में इसके छाल को सुखाकर, बारीक पीसकर चूर्ण के रूप में उपयोग किया जाता आ रहा है. लोग इस चूर्ण को सुबह-शाम चाय में मिलाकर पीते हैं. अर्जुन की छाल से बनी यह चाय हृदय संबंधी समस्याओं जैसे कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज, हाई बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों के नियंत्रण में कारगर मानी जाती है.
अर्जुन की सिर्फ छाल ही नहीं बल्कि तना भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसके तने से बने लेप को खुजली, दाद और एक्ज़िमा जैसी त्वचा संबंधी बीमारियों में प्रयोग किया जाता है. साथ ही अर्जुन का पाउडर अपच और एसिडिटी जैसी आम समस्याओं के लिए भी बेहद असरदार होता है.
इम्यूनिटी बढ़ाने वाला वरदान
इस पेड़ में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं. तिवारी जी बताते हैं कि उनकी नर्सरी में लगे 30 साल पुराने अर्जुन के पेड़ों की छाल को कई लोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए ले जाते हैं.
प्राकृतिक स्रोतों के करीब
अर्जुन का पेड़ नदी, तालाब और झरनों के किनारे पाया जाता है, क्योंकि इसे अधिक पानी की आवश्यकता होती है. इसकी बीज की संरचना दिल के आकार की होती है और इसी प्रतीकात्मकता के साथ यह हृदय रोगों में बेहद प्रभावशाली माना गया है. बघेलखंड में अर्जुन का पेड़ सिर्फ एक पौधा नहीं बल्कि पीढ़ियों से चल रही परंपरागत चिकित्सा पद्धति का हिस्सा है. जब आधुनिक इलाज महंगे और जटिल हो जाते हैं तब प्रकृति के इस तोहफे की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.